सभी पार्टी की नजर इस पर थी
बता दें कि पिछले चुनाव में कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआइ को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों पदों पर जीत मिली थी, जबकि इस बार उसे सिर्फ सचिव पद पर जीत मिली है। वहीं एबीवीपी ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के पद पर कब्जा जमाया है, जबकि पिछली बार वह अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर हार मिली थी। इस वजह से भाजपा इसे अपनी लोकप्रियता की वापसी के तौर पर देख रही है। बता दें कि इस बार आप की छात्र इकाई ‘छात्र युवा संघर्ष समिति’ (सीवाइएसएस) भी चुनाव मैदान में थी और सभी डूसू का चुनाव जीतकर लोकसभा चुनाव से पहले इसे मनोवैज्ञानिक बढ़त की तौर पर देख रही थी। बता दें कि यह माना जाता है कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली के युवाओं का जबरदस्त समर्थन हासिल होने की वजह से ही वह पिछली विधानसभा चुनाव में इतनी जबरदस्त जीत हासिल कर पाई थी, लेकिन डूसू के चुनाव में उसे एक भी सीट न मिलने के बाद भाजपा समेत अन्य दल इसे इस तरह से प्रचारित कर रही है कि अब आम आदमी की चमक फीकी पड़ गई है और युवाओं में एक बार फिर भाजपा का क्रेज लौट रहा है। यही कारण है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चेहरे पर एक बार फिर रौनक लौट रही है।