एनपीए को लेकर फैलाया जा रहा झूठ: गोयल
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि एनपीए को लेकर फैलाई जा रही झूठ की सच्चाई कुछ और ही है। जो ऋण खाते आठ साल पहले एनपीए हो चुके थे, उनको झूठे पुनरीक्षित करके और उन्हें दोबारा ऋण देकर ऐसे खातों को स्थिर और चालू दिखाया गया। उन्होंने कहा कि ऋण पाने वाली कंपनियों की हैसियत उसे चुकाने का था ही नहीं और ना ही उनकी ऐसी नीयत थी।
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घर घर जाएंगे बीजेपी के नौ करोड़ कार्यकर्ता
गोयल ने कहा कि बीजेपी के नौ करोड़ कार्यकर्ता जनता के बीच जाएंगे और घर-घर में मनमोहन सरकार की करतूतों की पोल खोलेंगे और मोदी सरकार के सही कदमों की जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि बैंकों को मुनाफा दिखाने के लिए मजबूर किया गया। मोदी सरकार ने इन कंपनियों के खातों के सच को 2014-15 में भी खंगाल लिया था। यूपीए सरकार के समय कुछ कंपनियों को अनाश शनाप ढंग से बेतहाशा ऋण दिए गए और उससे बैंकों का आधार कमजोर होता गया। लेकिन उस समय सच्चाई सामने लाने से भारत की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साख को बहुत नुकसान होता। इसलिए सरकार ने धीरे-धीरे कार्रवाई करके बैंकों को ऐसे खातों को एनपीए में लाने को बाध्य किया और पता लगाया कि 2006-08 से लेकर 2013-14 तक कुल ऋण 18 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 53 लाख करोड़ हो गया।
मोदी सरकार ने कर्जदारों पर अपनाया सख्त रूख
एनपीए को लेकर मोदी सरकार के फैसलों का जिक्र करते हुए गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह पहली सरकार है जिसमें बड़े लोगों के फंसे ऋण पर सख्त रुख अपनाया है और उन्हें कर्ज चुकाने के लिए मजबूर किया गया है। विशेषज्ञों ने मोदी सरकार के बैंकिंग प्रणाली साफ सुथरी बनाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्ज लेकर भागने वालों पर शिकंजा कड़ा कर दिया है।
रूपए के गिरते मूल्य पर फिर दी सफाई
डॉलर के मुकाबले रूपए के गिरते मूल्य पर गोयल ने कहा कि 2013 की तुलना में रुपए का अवमूल्यन केवल तीन रुपए के आसपास है।गोयल ने कहा कि 2013 में डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 68.86 रुपए हो गई थी जिसे कृत्रिम तरीके से कम करने के लिए एफसीएनआर में 32-34 अरब डॉलर का ऋण लिया गया था। मोदी सरकार ने उस ऋण को चुकता कर दिया है। इसी के साथ ऑयल बांड के करीब 1.30 लाख करोड़ रुपए की देनदारी चुकता कर दी गई है। इसका भार मोदी सरकार पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि 2014 के पहले महंगाई दर 10 से 12 प्रतिशत रही जो अब चार प्रतिशत के आसपास है।