जानकारी के मुताबिक ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि पार्टी की अहम बैठक में तेज प्रताप शामिल नहीं हुए हों। लेकिन इस बार ऐसा हुआ। दरअसल, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी पदाधिकारियों की विस्तारित बैठक हो रही थी, जिसमें विधायक, सांसद, जिलाध्यक्ष सब शामिल थे। लेकिन तेज प्रताप यादव शामिल नहीं हुए। न ही इस बात को लेकर उनकी ओर से कोई सफाई आई है। जबकि तेज प्रताप की ओर से हर मुद्दे पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी जाती है। आप बता दें कि बंद को लेकर भी उनकी ओर से किसी तरह का बयान नहीं आया और न ही उन्होंने पार्टी की बैठक को लेकर कोई ट्वीट किया है। इसके बदले उन्होंने मोदी सरकार को बढ़ती मंहगाई को लेकर सवालों के घेरे में जरूर खड़ा किया है।
लालू के समर्थकों ने तेजस्वी को माना नेता
आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने इस बारे में बयान दिया है। उन्होंने बताया है कि तेज और तेजस्वी यादव के बीच किसी तरह का मतभेद नहीं है। दोनों भाई एक हैं। वो लालू प्रसाद के परिवार से अपने सालों पुराने संबंध की दुहाई देते हैं। कहते हैं कि परिवार में कोई मतभेद नहीं है। लेकिन एक बात सही है कि तेजस्वी यादव को लालू प्रसाद के समर्थकों ने अपना नेता मान लिया है। पार्टी के कार्यकर्ताओं को पता है कि आने वाले दिनों में तेजस्वी यादव ही पार्टी का नेतृत्व करेंगे। तेज प्रताप ने खुद तेजस्वी को अर्जुन बता चुके हैं।
आरजेडी विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन का कहना है कि दोनों भाइयों की जोड़ी राम-लक्ष्मण जैसी है। किसी तरह की दरार पड़नेवाली नहीं है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव पार्टी की बैठक में थे, तो तेज प्रताप आरजेडी के छात्र नेताओं को पैदल मार्च के लिए सिताबदियारा को रवाना कर रहे थे। लेकिन अख्तरुल इस्लाम ने यह नहीं बताया कि पहले तेजस्वी यादव पद यात्रा को हरी झंडी दिखाने वाले थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तेजस्वी यादव ने यात्रा से दूरी बनाए रखी, जिसकी वजह से तेज प्रताप को हरी झंडी दिखानी पड़ी। आरजेडी की सहयोगी कांग्रेस भी तेज प्रताप और तेजस्वी यादव के बीच ऑल इज वेल होने का गीत गा रही है। पार्टी के बिहार प्रदेश के प्रवक्ता सरोज यादव का कहना है कि जल्दी ही सच्चाई सामने आ जाएगी।