मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के 2 दिन पहले यानी 28 मई को बिहार की स्पेशल ब्रांच ( Bihar Special Branch ) की ओर से एक चिट्ठी जारी की गई थी।
इस पत्र में बिहार पुलिस को आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का आदेश दिया गया है।
इस चिट्ठी में ‘अति आवश्यक’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था और डेडलाइन 3 जून तक की दी गई थी। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि क्या नीतीश कुमार RSS की जासूसी करवा रहे हैं ।
क्या नीतीश सरकार को बीजेपी पर अब भरोसा नहीं रहा, क्या नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव को लेकर दबाव डाल रहे हैं।
RSS नेता इंद्रेश कुमार बोले, हर किसी को संघ के बारे में जानना चाहिए
एक समय था जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तारीफ करते नहीं थक रहे थे और अचानक वह आरएसएस के सिद्धांतों का विरोध क्यों करने लगे। यह बात समझ से परे हैं।
दरअसल पिछले दो महीनों से दोनों पार्टियों की बीच तनाव का माहौल है।
ऐसी चर्चा है कि बिहार के गृह विभाग की ओर से जारी इस आदेश के जरिये भले ही यह दिखाने कोशिश की जा रही है कि इस पूरे प्रकरण में नीतीश सरकार का कोई हाथ नहीं।
लेकिन चिट्ठी का खुलासा होने के बाद से नीतीश पर RSS की जासूसी करवाने के आरोप जरू लगने लगे हैं।
जेडीयू ने नहीं जारी किया था घोषणा पत्र
बिहार की जेडीयू-एनडीए गठबंधन सरकार के बीच मनमुटाव कोई नया नहीं हैं। लोकसभा चुनाव परिणाम से पहले ही दोनों दल कई मुद्दों पर एक दूसरे से अलग मत रखते थे।
बीजेपी के घोषणा पत्र में धारा 370 और राम मंदिर मुद्दों को गंभीरता से उठाया गया था, जबकि जेडीयू ने चुनाव के दौरान इन मुद्दों को एक बार भी नहीं उठाया।
यहां तक कि जेडीयू ने बीजेपी को इन मुद्दों पर समर्थन तक नहीं किया। जेडीयू ने राजनीतिक इतिहास में पहली बार बिना मैनिफैस्टो चुनाव लड़ा।
बिहार में कम होता कद
नीतीश सरकार की एनडीए से खटास की दूसरी वजह लोकसभा चुनाव परिणाम भी रहा। बता दें कि इस बार लोकसभा चुनाव जेडीयू और एनडीए ने साथ मिलकर लड़ा था।लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई। जिसके बाद मोदी मंत्रिमंडल को लेकर काफी कवायत शुरू हुई थी। उस दौरान जेडीयू ने मोदी मंत्रिमंडल में तीन सीटों की मांग की थी, जिसे बीजेपी ने नकार दिया था।
उस समय ऐसी खबरें आईं थी कि बीजेपी ने जेडीयू को कैबिनेट में एक सीट देने की बात की थी। लेकिन जेडीयू ने उसे यह कह कर ठुकरा दिया था कि उसे तीन सीटें ही चाहिए नहीं तो उनकी पार्टी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी। बता दें कि मोदी मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री जेडीयू से नहीं है।