राजधानी के ऐशबाग और करोंद क्षेत्र से फजहर अली उर्फ मेहमूद पिता अशफाक इस्लाम (32), मोहम्मद अकील उर्फ अहमद पिता नूर मोहम्मद शेख (24), जहूरउद्दीन उर्फ इब्राहिम उर्फ मिलोन पठान उर्फ जौहर अली पिता शाहिद पठान (28), फजहर जैनूल आबदीन उर्फ अकरम अल हसन उर्फ हुसैन पिता अब्दुल रहमान (30) को पकड़ा गया था। इनसे मिली जानकारी के आधार पर प. बंगाल एटीएस ने रफीक को तो मप्र एटीएस ने विदिशा जिले के हैदरगढ़ से साहवान और नटेरन से अब्दुल करीम को गिरफ्तार किया। अब्दुल की देवबंद और सराहनपुर में आतंकियों से मुलाकात हुई थी। अब्दुल ने ही साहवान को आतंकियों से मिलवाया था।
आतंकियों से हुई पूछताछ में चिंताजनक खुलासा ये हुआ है कि आतंकी मप्र में उस योजना पर काम कर रहे थे, जिसमें छोटे विवादों को बड़ा बनाना था। इसके लिए सबसे पहले युवाओं में जेहादी मानसिकता को बढ़ावा देना था। सूत्रों के मुताबिक मप्र में स्लीपर सेल तैयार करने के बाद ये बड़ी वारदात को अंजाम देते। इसके अलावा शहरों और गांवों में होने वाले विवादों को भडक़ाना था, ताकि कानून व्यवस्था की समस्या बनी रहे। इससे विवाद की स्थिति में होने वाली हिंसक गतिविधियों को आतंकी घटना नहीं माना जाता और आतंकी अपने मंसूबों में कामयाब होते। इसके लिए आतंकी विस्फोटक का इस्तेमाल करने की बजाय पेट्रोल बम आदि बनाने की ट्रेनिंग देने की तैयारी में थे।