इस सौदे को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को उन्होंने किंडरगार्टन या प्राइमरी स्कूल के बच्चों जैसी बहस करार दिया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने राफेल प्रस्ताव के बारे में अपने अलग-अलग भाषणों में सात अलग-अलग कीमतों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का तर्क है कि मैं 500-कुछ दे रहा था पर मोदी सरकार ने 1600-कुछ दिए हैं। उनका यह तर्क दिखाता है कि उन्हें राफेल डील के बारे में समझ की कमी है। अरुण जेटली ने कहा कि 2015 से 2016 तक राफेल की कीमत को लेकर बातचीत की गई और करेंसी विरिएशन के साथ अंतत: 2016 में इसे एग्जीक्यूट किया गया। इस तरह से एयरक्राफ्ट की कीमत 9 फीसदी सस्ता हो गया। जबकि कांग्रेस इस बात से अवगत ही नहीं है। इस बारे में उसे जानकारी हासिल करने की जरूरत है।
आपको बता दें कि 22 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर पीएम मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर सवाल उठाया था। कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था कि इस डील को लेकर पर्दे के पीछे कुछ खेल जरूर हुआ है। उसे दबाने के लिए सीतारमण किसी के दबाव में काम कर रही हैं। आपको बता दें कि राफेल डील को लेकर जुलाई में राहुल ने ट्वीट के जरिए पीएम मोदी पर निशाना साधा था। उन्होंने लोकसभा में अविस्वास प्रस्ताव के दौरान अपने भाषण में कही बात दोहराई। राहुल की मानें तो रक्षामंत्री किसी के दबाव राफेल डील को लेकर सही बातें नहीं रख पा रही हैं। पीएम मोदी को लेकर ट्वीट में लिखा है कि उनकी संसद में मुस्कुराहट के पीछे एक घबराहट नजर आई। इसलिए वो मेरी तरफ नहीं देख पा रहे थे। निश्चित तौर पर राफेल सौदे में अब घोटाले का शक गहराता जा रहा है। राफेल का दाम पूछने पर पीएम असहज हो जाते हैं।