इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राष्ट्रपति डोरिस लिउथर्ड से मुलाकात की और आपसी हितों से जुड़े विविध विषयों पर चर्चा की। समझा जाता है कि बातचीत के दौरान दोनों देश कारोबार, निवेश एवं आर्थिक विषयों समेत द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा करेंगे और भारतीय पक्ष भारतीयों द्वारा स्विस बैंक में जमा किए गए काले धन का मुद्दा उठा सकता है। कला, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में स्विटजरलैंड और भारत के बीच गहरे संबंध हैं। भारत से काफी संख्या में पर्यटक स्विटजरलैंड जाते हैं और इसी प्रकार स्विटजरलैंड से भी पर्यटक भारत आते हैं।
भारत और स्विट्जरलैंड के बीच मजबूत आर्थिक संबंध हैं। स्विट्जरलैंड भारत का सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत में 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है। मंत्रालय का कहना है कि, कई बड़े वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों के एक जैसे विचार हैं। आगामी यात्रा दोनों देशों को द्विपक्षीय और पारस्परिक हित के वैश्विक तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा का अवसर उपलब्ध कराएगी। स्विटजरलैंड की राष्ट्रपति लिउथर्ड के साथ वरिष्ठ सरकारी अधिकारी तथा कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल जून में स्विट्जरलैंड की यात्रा पर गए थे। इस दौरान स्विट्जरलैंड ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता का समर्थन किया था। इसके अलावा दोनों देश कर-अपवंचना तथा काले धन के खिलाफ लड़ाई में सहयोग पर भी सहमत हुए थे। मोदी ने तब कहा था कि दोनों देशों के लिए काले धन और कर-अपवंचना जैसी बुराई से लड़ना ‘साझा प्राथमिकता’ है। इससे पहले 1998, 2003 और 2007 में स्विटजरलैंड के राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर आ चुके हैं।