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अपने घर में इस एक बात का रखें ध्यान तो जल्दी बनेंगे करोड़पति, होंगे वारे-न्यारे

Published: Apr 22, 2018 02:02:50 pm

वास्तु शास्त्र के अनुसार भूखंड या भवन के ठीक मध्य का भाग ब्रह्मस्थान होता है, जिसके देवता ब्रह्मजी और अधिपति ग्रह गुरु अर्थात बृहस्पति हैं।

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वास्तु शास्त्र एक ऐसा सरल विज्ञान है, जिसके नियमों का अगर सोच-समझ कर पालन किया जाए तो जीवन में काफी हद तक आने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। वैसे भी जब हम नया भवन बनवाते हैं या नया भवन या फ्लैट खरीदते हैं तो हमारी यही सोच रहती है कि वहां हमें और घर के दूसरे सदस्यों को कोई कष्ट न हो तथा जीवन सुचारु ढंग से चलता रहे। इसके लिए किचन, बाथरूम, शौचालय, स्टोर रूम, बालकनी, आंगन, स्टडी रूम आदि की बनावट और दिशा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। किसी भी भवन में, चाहे वह आवासीय हो अथवा व्यावसायिक दिशाओं का ध्यान रखते हुए ही बाहरी और आंतरिक साज-सज्जा की जाती है तथा कोशिश की जाती है कि वहां वास्तु दोष न रहे।
रखें इन बातों का ध्यान
घर में ब्रह्मस्थान को हमेशा साफ रखें और हो सके तो नियमित रूप से तुलसी की पूजा भी करें। घर परिवार की खुशहाली और स्वास्थ्य रक्षा के लिए ब्रह्मस्थान को सदैव स्वच्छ, खुला एवं दोष मुक्त रखना आवश्यक है। यहां किसी भी तरह का कोई अवरोध, निर्माण, बोरिंग, कूड़ा-कबाड़ा आदि नहीं होना चाहिए अन्यथा वहां रहने वालों पर नकारात्मक असर बना रहेगा। इससे कई समस्याएं आने का भय रहेगा। ब्रह्मस्थान में तुलसी की नियमित पूजा करें।
ब्रह्मस्थान है महत्त्वपूर्ण
वास्तु शास्त्र में भूखंड या भवन के ठीक मध्य का भाग ब्रह्मस्थान होता है जिसके देवता ब्रह्मजी और अधिपति ग्रह गुरु अर्थात बृहस्पति हैं। इसलिए ब्रह्मस्थान को वास्तु शास्त्र में अत्यंत शुभ मानते हुए हमेशा खुला, पवित्र एवं स्वच्छ रखने का निर्देश दिया गया है। पुराने समय में बने भवनों के बीच में आंगन होता था जिसके चारों ओर कमरे या अन्य निर्माण होते थे।
इस व्यवस्था में ब्रह्मस्थान की महत्ता का पता चल जाता है क्योंकि ऐसे भवन में रहने वालों में एकता, प्रेम और सौहार्द देखने को मिलता था परंतु आज के समय में जगह की कमी के चलते ब्रह्मस्थान को लोग भूलते जा रहे हैं जबकि भवन में सुख, शांति एवं सकारात्मक ऊर्जा के लिए इसका होना अनिवार्य है। यह स्थान पंचमहाभूतों में से तीन तत्त्वों भूमि, आकाश और वायु का पर्याय है। इन तीनों तत्त्वों के संतुलन से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने से आरोग्य, संपन्नता और शांत वातावरण प्राप्त होता है। भवन, फ्लैट में ब्रह्मस्थान के रूप में खाली जगह उचित दिशा में रखनी चाहिए।
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