scriptन सुनामी हिला पाया-ना ही भूकंप, 7 हाथी भी नहीं कर पाये टस से मस | Mahabalipuram: story of krishnas butter ball | Patrika News

न सुनामी हिला पाया-ना ही भूकंप, 7 हाथी भी नहीं कर पाये टस से मस

locationभोपालPublished: Oct 12, 2019 04:42:29 pm

Submitted by:

Devendra Kashyap

पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति को महाबलीपुरम के कई दर्शनीय स्थलों पर लेकर गए। दोनों नेताओं के मुलाकात की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

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दो दिवसीय दौरे पर भारत आये चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात महाबलीपुरम में हुई। इस दौरान पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति को महाबलीपुरम के कई दर्शनीय स्थलों पर लेकर गए। दोनों नेताओं के मुलाकात की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।
https://twitter.com/ANI/status/1182628076963782657?ref_src=twsrc%5Etfw
दरअसल, दुनिया में एक से बढ़कर एक चमत्कारी और रहस्यमयी चीजें हैं, जिनके रहस्य आज तक सुलक्ष नहीं पाया। ऐसा ही एक रहस्यमयी पत्थर महाबलीपुरम में भी मौजूद है, जिसे देखने चीनी राष्ट्रपति को दिखाने के लिए पीएम मोदी लेकर गए थे। बताया जाता है कि यह पत्थर करीब 1300 साल पुराना है।
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बताया जाता है कि विशालकाय यह पत्थर बहुत ही छोटे से क्षेत्र पर टिका हुआ है। देखने से तो ऐसा लगता है कि यह पत्थर थोड़ी सी हलचल से कभी भी लुढक सकता है लेकिन पिछले 1300 साल से यह पत्थर ऐसे ही यहां पड़ा है। आज तक यह टस से मस नहीं हुआ। अब तक यह कई सुनामी और भूंकप को भी झेल चुका है लेकिन इसका कुछ नहीं हुआ।
https://twitter.com/ANI/status/1182625782566289409?ref_src=twsrc%5Etfw
बताया जाता है कि इस पत्थर की ऊंचाई 20 फीट और चौड़ाई 5 फीट है, लेकिन ये पत्थर जिस तरह से अपनी जगह पर टिका है, वो अनोखा बनाता है। बताया जाता है कि एक बार इसे 7 हाथियों से भी खिंचवाया गया था लेकिन यह पत्थर एक इंच भी नहीं खिसका।
krishnas butter ball
दरअसल, यह पत्थर 1908 में सुर्खियों में आया था। बताया जाता है कि मद्रास के गवर्नर आर्थर लावले ने इस पत्थर को 7 हाथियों से खिंचवाया लेकिन 7 हाथी भी मिलकर इस पत्थर को इंच भर भी नहीं हिला पाए। उसी वक्त से लोग इस पत्थर को ‘बटर बॉल’ के नाम से जानते हैं।
https://twitter.com/ANI/status/1182622526876176389?ref_src=twsrc%5Etfw
इस रहस्य को पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने भी अथक प्रयास किया लेकिन पत्थर के रहस्य को आज तक पता नहीं लगा सके। अभी तक ये भी पता नहीं चल सका कि ये पत्थर इंसानों द्वारा खड़ा किया गया है या प्रकृति द्वारा और कैसे इतने छोटे से क्षेत्र में यह विशालकाय पत्थर टिका हुआ है।

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