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ज्योतिर्लिंग दर्शन यात्रा : जाने से पहले जान लीजिए यह नियम, नहीं तो लौटना पड़ेगा वापस!

locationभोपालPublished: Jul 16, 2019 02:00:21 pm

Submitted by:

Devendra Kashyap

12 jyotirlinga : सावन महीने में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, पूजन, आराधना और नाम जपने मात्र से समाप्त हो जाते हैं भक्तों के सभी पाप

12 jyotirlinga

ज्योतिर्लिंग दर्शन यात्रा : जाने से पहले जान लीजिए यह नियम, नहीं तो लौटना पड़ेगा वापस

सावन ( Sawan 2019 ) के पावन महीना में भगवान शिव ( Lord Shiva ) के 12 ज्योतिर्लिंगों ( 12 jyotirlinga ) के दर्शन करना चाहते हैं तो घर से निकलने से पहले, उन मंदिरों के नियम-कानून भी जान लेना जरूरी है। अक्सर देखा जाता है कि लोग ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए मंदिर के प्रवेश द्वार तक तो पहुंच जाते हैं लेकिन दर्शन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में मंदिर में प्रवेश करने का नियम सभी को जानना जरूरी है। तो आइये जानते हैं भगवान शिव 12 पवित्र स्थान पर प्रवेश के नियम…
12 jyotirlinga
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग ( Somnath Jyotirlinga )

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं, इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है। शिवपुराण के अनुसार, जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी।
प्रवेश के नियम

अन्य प्रमुख मंदिरों की तरह की सोमनाथ मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं, श्रद्धालुओं को इनसे गुजरना आवश्यक है। इसके अलावा गर्भगृह में पुजारियों के अतिरिक्त किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। श्रद्धालु सामने के कॉरिडोर से भगवान के दर्शन करते हैं और वहीं से जल भी चढ़ाते हैं। इसके लिए सामने के कक्ष में एक बड़ा पात्र है, जिसे गर्भगृह से जोड़ा गया है। इस पात्र में जल अर्पित करने से वह सीधा शिवलिंग तक पहुंच जाता है। यहां आने वाले अधिकांश श्रद्धालु हिन्दू होते हैं, सीधे तौर पर गैर-हिंदू श्रद्धालुओं को प्रवेश का अधिकार प्राप्त नहीं है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में गैर-हिंदुओं को जनरल मैनेजर ऑफिस से संपर्क कर प्रवेश की अनुमति लेनी होगी। अनुमति मिलने के बाद ही मंदिर में प्रवेश मिलेगा।
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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ( mallikarjun jyotirlinga )

यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
प्रवेश के नियम

मल्लिकार्जुन मंदिर में भी श्रद्धालुओं को सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है। इसके बाद श्रद्धालु भीतर प्रवेश कर सकते हैं। मंदिर का गर्भगृह काफी छोटा है, इसलिए एक समय में अधिक भक्त यहां नहीं जा सकते। आरती के समय भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश वर्जित है। यहां पर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर ही मंदिर में प्रवेश मिलता है।
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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ( mahakaleshwar jyotirlinga )

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है। उज्जैन में रहने वाले लोगों की मान्यता है कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।
प्रवेश के नियम

महाकाल मंदिर में एक दिन में पांच बार भोलेनाथ की आरती होती है। आरती के समय भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं है। सामने बने दो हॉल में बैठकर श्रद्धालु आरती में शामिल हो सकते हैं। यहां पर होने वाली भस्मारती जो कि सुबह सूर्योदय से पूर्व होती है, के लिए भक्तों को साड़ी-शोला धारण करना होता है। महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए शोला यानि कि धोती अनिवार्य है। साड़ी और धोती के अतिरिक्त किसी अन्य वस्त्र को धारण करने वाले व्यक्तियों को आरती में शामिल होना वर्जित है। बाकी आरतियों में श्रद्धालु सामान्य वस्त्रों में शामिल हो सकते हैं।
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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ( omkareshwar jyotirlinga )

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
प्रवेश के नियम

अन्य सभी 11 ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में शिवलिंग या प्रतिमा के ठीक सामने नंदी की प्रतिमा स्थापित है, लेकिन ओंकारेश्वर मंदिर में नंदी के ठीक सामने दीवार है जबकि ज्योतिर्लिंग की मान्यता वाले शिवलिंग मंदिर के एक कोने में स्थापित है। गर्भगृह में श्रद्धालु प्रवेश कर सकते हैं लेकिन शिवलिंग को छूना मना है। शिवलिंग के चारो तरफ कांच लगा हुआ है। दरअसल, क्षरण की आशंका के चलते शिवलिंग को कांच से बंद कर दिया गया है। यहां पर भक्त सामान्य वस्त्रों में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन चमड़े से बना हुआ कोई भी सामान ले जाना वर्जित है।
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केदारनाथ ज्योतिर्लिंग ( Kedarnath Jyotirlinga )

केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
प्रवेश के नियम

बेहद ठंडे मौसम की स्थिति के कारण केदारनाथ मंदिर अक्षय तृतीय से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक ही खुला रहता है। सर्दियों के मौसम में केदारनाथ से भगवान शिव को ऊखीमठ ले जाया जाता है और वहां 6 महीनों तक उनकी पूजा होती है। मंदिर तक जाने के लिए 21 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा करनी होती है। केदारनाथ मंदिर में भक्तों को गर्भगृह तक प्रवेश की अनुमति है, लेकिन श्रद्धालु सिर्फ दूर से ही भोलेनाथ का दर्शन कर सकते हैं। शिवलिंग को छूना या जल अर्पित करना मना है।
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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग ( bheemashankar jyotirlinga )

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
प्रवेश के नियम

महाराष्ट्र के पुणे जिले के सहयाद्री पर्वत पर यह ज्योर्तिलिंग स्थापित है। यहां पर गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति है, लेकिन इसके लिए महिलाओं को साड़ी में होना जरूरी है जबकि पुरुषों को एक वस्त्र धोती में होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो दर्शन करने की इजाजत नहीं होती है। ऐसी स्थिति में बाहर से ही दर्शन करने की व्यवस्था है। सामान्य तौर पर लोग बाहर से ही दर्शन करते हैं। अभिषेक या दूसरी स्थिति में ही गर्भगृह से प्रवेश की इजाजत होती है। भीड़ होने की स्थिति में गर्भगृह से दर्शन बंद कर दिए जाते हैं।
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काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग ( Kashi Vishwanath Jyotirlinga )

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है, कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।
प्रवेश के नियम

उत्तर प्रदेश के वारा और असि नदियों के किनारे बस बसे वाराणसी में बाबा विश्वनाथ का मंदिर है। यहां पर गर्भगृह में प्रवेश की इजाजत है, दर्शनार्थी गंगाजल सीधे शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। लेकिन आरती के दौरान प्रवेश बंद रहता है। दर्शन व्यवस्था बाहर से ही रहती है। यह आरती चार बार होती है। मंगला आरती में शामिल होने के लिए आपको ऑनलाइन बुकिंग करानी होगी। इसके साथ ही मंदिर में फूल के सिवा बाकी कुछ भी अंदर ले जाने की इजाजत नहीं है। न ही आप मंदिर के भीतर बैठ सकते हैं। सिर्फ मंगला आरती में गर्भगृह के बाहर बैठकर दर्शन होते हैं।
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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग ( trayambkeshwar jyotirlinga )

यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।
प्रवेश के नियम

यहां पर ज्योतिर्लिंग तीन भागों में स्थापित है। जो कि ब्रह्मा, विष्ण और शिव का प्रतीक हैं। त्रयम्बकेश्वर शिवलिंग आकार में काफी छोटा है, जिस वजह यहां भक्तों को प्रवेश नहीं दिया। दर्शन के लिए शिवलिंग के ऊपर एक शीशा लगा हुआ है, जिसमें ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये जा सकते हैं। यहां पर एक कुण्ड बना हुआ है, मान्यता के अनुसार इस कुण्ड में स्नान करने के बाद शिवलिंग के दर्शन करने चाहिए। सबसे प्रमुख बात यह है कि गर्भगृह में प्रवेश के लिए पुरुषों को ऊपर किसी भी प्रकार का वस्त्र पहनना मना है। इसके अलावा चमड़े की किसी भी वस्तु को ले जाना वर्जित है।
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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ( Vaidyanath Jyotirlinga )

श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखंड के देवघर में स्थित है।
प्रवेश के नियम

झारखंड के देवघर में स्थित इस मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की इजाजत है, लेकिन यहां पर महिलाओं और पुरुषों के लिए ड्रेस कोड हैं। उन्हें परंपरागत कपड़ों में ही प्रवेश की इजाजत दी जाती है। बाकी शेष लोगों को बाहर से ही दर्शन कराने की व्यवस्था है।
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ( nageshwar jyotirlinga )

यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
प्रवेश के नियम

गर्भगृह में अभिषेक के समय पुरुष भक्त केवल धोती पहनकर ही प्रवेश कर सकते हैं। मंदिर के नियमों के अनुसार गर्भगृह में प्रवेश से पहले भक्त को समीप ही स्थित एक कक्ष में (जहां धोतियां रखी होती हैं) जाकर धोती पहननी होती है। उसके बाद ही गर्भगृह में प्रवेश किया जा सकता है। गर्भगृह काफी छोटा है, इसलिए एक समय में अधिक भक्त यहां प्रवेश नहीं कर पाते हैं।
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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग ( rameshwaram jyotirlinga )

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
प्रवेश के नियम

मंदिर तमिलनाडु राज्य में स्थित है और विशाल शिव मंदिरों में से एक है। माना जाता है कि मंदिर के पवित्र जल में स्नान के बाद ही शिवलिंग के दर्शन करने चाहिए। प्रभु श्री राम ने स्वयं ये शिवलिगं स्थापित किया था। यहां पर भी प्रवेश के लिए भक्तों को कड़ी सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है।
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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग ( grishneshwar jyotirlinga )

घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।
प्रवेश के नियम

मंदिर में प्रवेश से पहले ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए पुरुष भक्तों को अपने शरीर से शर्ट एवं बनियान और बेल्ट उतारना पड़ता है। दक्षिण भारत के अधिकांश मंदिरों में इस नियम का पालन किया जाता है। गर्भगृह में भक्तों को प्रवेश दिया जाता है और अभिषेक के लिए ज्योतिर्लिंग के समीप भी बैठा जा सकता है।
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