समीर ने कहा कि पिता एक जनरल सर्जन थे और मां ग्रहणी होने के साथ राइटर थी और उन्हीं के साथ म्यूजिक से जुड़ाव हुआ। चार साल की उम्र में पहली बार पिता के एक कार्यक्रम में सिंगिंग करने का मौका मिला और वहां देशभर के जाने-माने डॉक्टर्स ने हौसला हफजाई की। यहां से स्कूल और कॉलेज तक सिंगिंग का सफर चलता रहा। कॉलेज की पढ़ाई तक कई कॉम्पीटिशन में जीत हासिल की और इसी दौरान मैं मुम्बई जाकर सिंगर या एक्टर बनने का सपना देखने लगा, लेकिन पिता ने समझाया कि पहले अपना कॅरियर बनाओ और परिवार का जिम्मा उठाओ, उसके बाद जो करना चाहो कर सकते हो। इसके डेंटिस्ट की पढ़ाई की और फिर अपनी मेहनत के दम पर इस फील्ड में पहचान दिलाई। डॉक्टर बलविंदर ठक्कर मेरे सिंगिंग टैलेंट को जानते थे और उनके प्रोत्साहन के चलते फिर से सिंगिंग शुरू की और आज लोग बतौर सिंगर भी सम्मान देते हैं।
हुसैन ब्रदर्स ने दी क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग
उन्होंने बताया कि २०११ में डेंटल कॉन्फ्रेंस के दौरान परफॉर्म करने का मौका मिला, यहां गजल सिंगर अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन ने जमकर तारीफ की, गले लगाकर मुबारकबाद दी और शिष्य बनने का ऑफर दिया। मैंने उनको गुरु मानते हुए उनसे क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग ली। २०१४ में मैंने खुद का कॉन्सर्ट ‘गोल्डन एरा’ को शुरू किया और इसके बाद लोगों ने मेरी जमकर तारीफ की। २०१६ में मेरे गुरु हुसैन ब्रदर्स भी कॉन्सर्ट में आए, मेरी परफॉर्मेंस के बाद वे बहुत प्रभावित हुए। मंच पर ही मेरी तारीफ की और सम्मानित किया। सिंगिंग टैलेंट के दम पर राजस्थान गौरव अवॉर्ड, मल्टीटैलेंटेड पर्सनैलिटी जैसे अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। डॉ. समीर बताते हैं कि इस साल मुम्बई भी जाना हुआ, जहां सिंगर सुरेश वाडेकर, अनूप जलोटा जैसे प्रख्यात कलाकारों का भी सानिध्य मिला और उन्होंने मेरी गायकी की प्रशंसा मिली।
माइंड को रिलेक्स देता है म्यूजिक
विश्वभर में यह रिसर्च भी हो गई और मेरी एक्सपीरिंयस से भी यह कह सकता हूं कि प्रेशर और माइंड को रिलेक्शन देने के लिए म्यूजिक बेस्ट थैरेपी है। डॉक्टर्स हमेशा अपने काम के लिए तैयार रहते है और उन्हें हर तरह के लोगों से इंटरेक्शन करना होता है, हर प्रेशर में अपना बेस्ट देना होता है। एेसे में सिंगिंग ने मुझे भी एक अलग तरह का सुकून दिया है। जब भी मैं प्रेशर फील करता हूं, म्यूजिक का रियाज करने लग जाता हूं और सारा प्रेशर गायब हो जाता है।