सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला खुशबू शर्मा की अपील पर दिया। इस मामले में पटना हाईकोर्ट की एकल पीठ ने खुशबू को राहत देते हुए प्रतिवादी को निर्देश दिया था कि दो महीने के भीतर शारीरिक परीक्षा की तारीख निर्धारित की जाए। मामला डिविजन बेंच के पास पहुंचा तो उसने फैसला पलट दिया। प्रतिवादी ने बताया कि ऐसे कुल 73 मामले सामने आए थे और इन पर विचार किया जाता तो पूरी भर्ती प्रक्रिया प्रभावित होती। ऐसे में अभ्यर्थियों को दूसरा प्रयास करने के लिए कहा गया। अगर सब इसको कोर्ट लेकर जाते तो याचिकाओं की बाढ़ आ जाती।
पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा था कि महिला को परिवार चुनने का अधिकार है लेकिन नौकरी में आने से पहले गर्भावस्था की स्थिति में नियोक्ता अभ्यर्थी के लिए अपने नियम व शर्तों में बदलाव नहीं कर सकता।