जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के प्रयासों से पटना में आयोजित विपक्षी एकता दर्शाने वाली रैली से तेजस्वी ने दूरी बना ली। इस रैली में कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं की भागीदारी हुई पर तेजस्वी ने बिहार में रहते हुए भी दूरी बनाए रखी। आरजेडी की संविधान बचाओ यात्रा के दूसरे चरण में तेजस्वी अभी दौरे पर हैं। तयशुदा कार्यक्रमों के अनुसार वह यात्रा स्थगित कर 25 को पटना लौट आने वाले थे। माना जा रहा था कि वह रैली में शामिल होंगे। पर आखिरी क्षणों में प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे और उपाध्यक्ष तनवीर हसन को रैली में जाने के निर्देश दिए। प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कुरेदने पर बताया कि किसी मतभेद का सवाल ही नहीं। तेजस्वी यादव शाम को पटना वापस लौटते। तब तक रैली समाप्त हो जाती।इसलिए दो नेताओं को वहां भेजा गया।
वर्चस्व की पेंच है असल वजह
लालू यादव के उत्तराधिकारी और विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव वस्तुतः विपक्षी गोलबंदी के प्रयोग में कन्हैया कुमार के बढ़ रहे प्रभाव से असहज हैं। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया पिछले कुछ समय से बिहार में सक्रिय हैं। सीपीआई के उम्मीदवार के बतौर महागठबंधन के समर्थन पर बेगूसराय से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद कन्हैया विपक्ष की गोलबंदी को लेकर मुखर भूमिका में हैं। यह बात तेजस्वी को कहीं से हजम नहीं हो रही है। तेजस्वी और कन्हैया दोनों ही समान उम्र के नेता हैं और दोनों ही भाजपा के प्रबल विरोध की राजनीति के केंद्रविंदु हैं। बिहार में सक्रियता के बावजूद तेजस्वी और कन्हैया में अभी तक भेंट भी नहीं हो पाई है। यह भी गौर करने वाली बात है कि आरजेडी ने कन्हैया की कभी खोज खबर नहीं ली। बेगूसराय में कन्हैया के साथ मारपीट की घटना पर भी आरजेडी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। पटना एम्स के डॉक्टरों के साथ विवाद के वक्त भी दल ने चुप्पी साधे रखी।
तनवीर हसन के जाने पर सवाल
रैली में तेजस्वी बेशक न पहुंचे पर कन्हैया ने सियासत के मीठे दांव खूब चले और भाजपा विरोध तथा विपक्षी एकता के तेजस्वी के प्रयासों की मुंह खोलकर सराहना कर डाली। कन्हैया जिस बेगूसराय सीट से चुनाव में उतरने वाले हैं वहां से आरजेडी ने पहले ही अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। उपाध्यक्ष तनवीर हसन पिछले चुनाव में भोला सिंह से हार गये थे।फिर से जोरदार तैयारी में जुटे हैं। पार्टी नेतृत्व यह समझ भी रहा है कि पिछली बार मोदी लहर में पराजित हुए तनवीर इस बार बेड़ा पार कर सकते हैं। कन्हैया कुमार की पहल पर आयोजित रैली में तनवीर हसन की तैनाती के भी मायने निकाले जा रहे हैं। माना यह जा रहा कि भाजपा विरोध की राजनीति में बिहार के अंदर तेजस्वी अपनी पोजीशन नंबर एक कायम रखने से कोई समझौता नहीं करना चाहते।कन्हैया बेगूसराय से लेफ्ट के उम्मीदवार बने और आरजेडी ने यदि समर्थन न देकर तनवीर हसन को महागठबंधन उम्मीदवार के बतौर उतार दिया तो मामला देखने लायक दिलचस्प हो जाएगा।