सभाओं में जुट रही भीड़ से उत्साहित आरजेडी ने इसे वोट में बदलने के प्रयास भी तेज कर दिए। कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं को अनुशासित रहने को कहा जाता है। कार्यकर्ताओं को अतिउत्साही न होकर दूसरे समुदाय के लोगों का ख्याल रखने का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इन्हें आक्रामक नहीं होने की नसीहत दी जा रही है।
तेजस्वी यादव इस बात से वाकिफ हैं कि जुट रही भीड़ को बांधे रखकर उसे वोट में बदलना ज़रूरी है। लिहाजा आहिस्ता और समझदारी से चलने के प्रयास हो रहे हैं। तेजस्वी ने पिता लालू यादव की लोकप्रियता को वोट में न बदल पाने की असफलताओं को उदाहरण की तरह सामने रखकर एसे कदम उठाने शुरू किए ताकि भीड़ को वोट में बदला जा सके।
पिता की गलती को नहीं दोहराना चाहते तेजस्वी
बता दें कि 2003 में लालू यादव लाठी रैली का सफल आयोजन किया और भारी भीड़ जुटी। पर भीड़ को वोट में नहीं बदला जा सका। लिहाजा 2005 का विधानसभा चुनाव आरजेडी बुरी तरह हार गई थी। इससे सबक लेते हुए तेजस्वी अपने दल के कार्यकर्ताओं खासकर यादव समाज के लोगों को समझाने का काम कर रहे हैं कि अतिउत्साह और आक्रामकता से दूसरी जातियों और समाज के लोग कहीं सहम कर विमुख न हो जाएं। इस खतरे को भांपकर ही आहिस्ता चलने की पहल की जा रही है।