यहां कम वोटों से मिली शिकस्त
पार्टी सूत्रों के अनुसार तेजस्वी यादव ने ऐसी सीटों की पहचान कर जीतने की रणनीति तैयार की है। ये सीटें हैं सारण,पाटलिपुत्र, जहानाबाद, मधुबनी, झंझारपुर, सुपौल,मधेपुरा, दरभंगा, महाराजगंज, बेगूसराय और बांका। सारण में राबड़ी देवी और पाटलिपुत्र में मीसा भारती महज़ चालीस हजार वोटों के अंतर से पराजित हुई थीं। मधुबनी में अब्दुल बारी सिद्दीकी महज़ बीस हजार 535 वोटों से है रह गये थे। इसी तरह दरभंगा में कीर्ति आजाद 35हजार 43वोटों के अंतर से आरजेडी के अली अशरफ फातमी को पराजित कर गये थे।
यहां कम वोटों के अंतर से जीती आरजेडी
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के दो बड़े सिपहसालार भी बमुश्किल जीत पाए थे। बांका से आरजेडी के जयप्रकाश नारायण यादव ने भाजपा की पुतुल कुमारी को सिर्फ दस हजार वोटों से हराया था। ठीक ऐसे ही भागलपुर में आरजेडी के बुलो मंडल ने भाजपा के शाहनवाज हुसैन को केवल नौ हजार 485वोटों से शिकस्त दी थी। कई और सीटें भी ऐसी हैं जहां जीत हार का अंतर मात्र दस हजार से भी कम था।
यूं बनाई नई रणनीति
तेजस्वी यादव का मानना है कि जदयू भाजपा का गठबन्धन हो जाने से इस बार के हालात और भी कठिन हो जाएंगे। कई दूसरे दल भी अपने पक्ष में जोर लगाएंगे। ऐसे में प्रचार और संगठन की खास मजबूती के अलावा और भी दमदार प्रत्याशी को मौका देने पर विचार किया जा रहा है।
जिन सीटों पर आरजेडी कम वोटों के अंतर से जीती थी साथ ही कम वोटों से जहां आरजेडी के प्रत्याक्षी हारे थे आरजेडी की ओर से ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर वहां हर बूथ पर समर्थक वोटों की तादाद बढ़ाने पर जोर दिया जाने वाला है। ऐसी सीटों पर आरजेडी का सिरदर्द बढ़ा है। खासकर महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस से सीटों पर ज्यादा जोर लगाने को भी कहा गया है।