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बिहार में मोदी लहर के कारण वोटों की सुनामी में विपक्ष के सारे समीकरण जमींदोज़,बने यह नए रिकॉर्ड

locationपटनाPublished: May 25, 2019 10:58:01 pm

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Prateek

इस बार एनडीए गठबंधन के तहत बिहार में बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 17 तो लोजपा ने 6 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था…
 

pm modi

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(पटना,प्रियरंजन भारती): नरेंद्र मोदी के नाम आई वोटों की सुनामी ने सारे समीकरण धराशायी कर नये रिकॉर्ड बना दिये। अनुमान से अलग जाकर एनडीए ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को भारी अंतर से पराजित कर दिया। पहले के चुनावों में डेढ़ से दो लाख के अंतर से हुई जीत बड़ी जीत मानी जाती थी। लेकिन इस बार के चुनावों में रिकॉर्ड बनाते हुए सूबे की चालीस सीटों में से पच्चीस उम्मीदवारों ने दो से चार लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज़ की। सबसे अधिक वोटों के के फासले से जीत का रिकॉर्ड मधुबनी से भाजपा के अशोक कुमार यादव ने बनाया। उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी के बद्री पूर्वे को चार लाख 54 हजार से अधिक वोटों से हराया। वह रामविलास पासवान के बाद दूसरे नंभर के प्रत्याशी बने जिन्होंने जीत का बड़ा रिकॉर्ड कायम किया। पासवान ने हाजीपुर संसदीय सीट से 1989 में 5.04 लाख और 1977 में 4.25 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज़ करने का रिकॉर्ड बनाया था। इस बार वोटों की ऐसी सुनामी आई कि एनडीए के चार उम्मीदवारों ने तीन लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज़ की। इनमें तीन जदयू जबकि एक भाजपा के हैं।


भाजपा के गिरिराज सिंह और अजय निषाद भी चार लाख से अधिक वोटों के अंतर से विजयी हुए। गिरिराज सिंह ने बेगूसराय सीट से सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार को 4,22,217 वोटों के अंतर से हराया। गिरिराज सिंह पर सर्वाधिक वोटरों ने भरोसा जताया। क्षेत्र के सभी चालीस उम्मीदवारों में उन्हें सर्वाधिक 6,92,193 वोट मिले। जबकि सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार को 2,69,976 वोट मिले। 2014 के चुनावों में भाजपा के जनकराम ने गोपालगंज से दो लाख 86 हजार 936 वोटों के अंतर से जीतने का बड़ा रिकॉर्ड बनाया था।

मुजफ्फरपुर के भाजपा उम्मीदवार अजय निषाद ने 6,64,053 वोट हासिल किए। उन्होंने वीआईपी के राजभूषण चौधरी को 4,09,998 वोटों से पराजित किया। वीआईपी के चौधरी को 2,56,890 वोट मिले। इसी तरह पूर्णियां में भाजपा छोड़ कांग्रेस के प्रत्याशी बने उदय उर्फ पप्पू सिंह जदयू के संतोष कुशवाहा से हारे। संतोष कुशवाहा सर्वाधिक वोट पाने वाले तीसरे उम्मीदवार हैं। इन्हें 6,32,924 वोट मिले। जबकि उदय सिंह को मात्र 3,69,463 वोट हासिल हुए। इस बार 18 उम्मीदवारों ने दो लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज़ की है। इनमें सबसे अधिक जदयू के सात, भाजपा के छह और लोजपा के पांच उम्मीदवार हैं। नौ प्रत्याशियों ने एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज़ की। सिर्फ चार सीटें किशनगंज, कटिहार, पाटलिपुत्र और जहानाबाद ही ऐसी सीटें हैं जहां एक लाख के कम वोटों के अंतर से जीत हार हुई।

 

चुनाव में एमवाई समीकरण ध्वस्त

महागठबंधन के नेता जिस मुस्लिम यादव (एमवाई) समीखरण को लेकर उछालें मारते रहे, वह उनके काम नहीं आ सका। लगभग एक दर्ज़न सीटों पर यह समीकरण पूरी तरह दरक गया। एनडीए ने जहां भी यादव और मुसलमान प्रत्याशी खड़े किए वहां वोटों का बिखराव खूब हुआ और माय समीकरण ध्वस्त हो गये। यह यदि नहीं होता तो मधुबनी, झंझारपुर, अररिया, बेगूसराय, सीवान, दरभंगा आदि सीटों पर जीत का अंतर इतना बड़ा नहीं हो पाता। यदि एमवाई समीकरण में एनडीए की जबर्दस्त सेंधमारी नहीं होती तो पाटलिपुत्र, मधेपुरा, सुपौल और उजियारपुर में एनडीए को और अधिक संघर्ष करना पड़ सकता था। दरभंगा और मधुबनी में तो यह साफ साफ दिख रहा है। मधुबनी में हुकुम देव नारायण यादव के पुत्र और भाजपा उम्मीदवार अशोक यिदव ने जीत का रिकॉर्ड ही इसी समीखरण को साधने से बनाया। मधुबनी में कांग्रेस छोड़ निर्दलीय उम्मीदवार बनकर लड़े शकील अहमद और दरभंगा में आरजेडी छोड़ने वाले फातमी भी इन वोटों के बिखराव का कारण बने।

 

फहली बार किसी गठबंधन को 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले

लोकसभा चुनाव में इस दफा पहली बार एनडीए को 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले। झारखंड विभाजन के बाद इतने वोट कभी नहीं मिले थे। अब तक सर्वाधिक 45 फीसदी वोट 2004 में यूपीए को मिले थे। इस बार एनडीए को 52 फीसदी से अधिक वोट हासिल हुए हैं। इससे पहले एनडीए को कभी इतने वोट नहीं मिले। इससे पूर्व एनडीए को 2004 में 36.93 प्रतिशत ,2009 में 38.03 प्रतिशत, और 2014 में 38.40 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार 52 प्रतिशत वोट लाकर एनडीए ने 40 में सें 39 सीटें जीत लीं। वहीं 2004 में यूपीए ने 465 प्रतिशत वोट लाकर 29 सीटें जीत ली थीं। तब सबसे अधिक 22सीटें आरजेडी को मिली थीं। इस बार 31 उम्मीदवारों को 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल हुए। सबसे अधिक मुजफ्फरपुर में भाजपा के अजय निषाद को 63 फीसदी और फिर मधुबनी में भाजपा के अशोक यादव को 62 फीसदी वोट मिले।

 

पहली बार भाजपा ने शतप्रतिशत सीटें जीतीं,सभी मंत्री विजयी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख और जदयू के साथ के किरण भाजपा गठबंधन ने भारी जीत दर्ज़ की। भाजपा ने भले ही जीती हुई छह सीटें जदयू के लिए छोड़ दीं पर पार्टी ने शत प्रतिशत परिणाम हासिल कर दिखाया। यह पहली बार हुआ कि भाजपा जितनी सीटों पर लड़ी वो सभी जीत गई। 2004 में भाजपा 16 पर लड़ी और पांच जीत सकी थी। यह सफलता 31.5फीसदी ही रही। 2009 में पार्टी पंद्रह पर लड़ी और बारह जीत सकी थी। तब इसे 80 फीसदी सफलता हाथ लगी। जबकि 2014 में भाजपा 30 सीटों पर लड़कर 22 जीती। महज कुल सीटों का 73 प्रतिशत ही रहा। यह पहला चुनाव है जब भाजपा जदयू के साथ रहकर सभी सीटें जीत सकी है। साथ ही पार्टी के सभी केंद्रीय मंत्री चुनाव जीत गये। जीत का अंतर भी पहले से बड़ा हुआ। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह तो जीतकर छठी बार लोकसभा पहुंच गये। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पटना साहिब में शत्रुघ्न सिन्हा को 2,84,567 वोटों से हराया। पाटलिपुत्र में रामकृपाल यादव ने मीसा भारती को 40,322 वोटों से हराया। आरा से केन्द्रीय मंत्री आरके सिंह ने भाकपा माले के राजू यादव को 1,47,285 वोटों से पराजित किया। बक्सर से अश्विनी कुमार चौबे ने आरजेडी के जगदानंद सिंह को 1,17,609 वोटों से शिकस्त दी। गिरिराज सिंह ने कन्हैया कुमार को 4,22,217 वोटों से पराजित कर रिकॉर्ड बना दिया।

 

वोटरों ने नकार दिए सभी निर्दलीय

एकाध उदाहरण छोड़ सभी सीटों पर वोटरों ने निर्दलीय और दलबदलुओं को नकार दिया। जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी की पार्टियों को तो धूल चटा दी। भाजपा छोड़ कांग्रेस में गये शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद भी कहीं के नहीं रह पाये। बांका में भाजपा छोड़ निर्दलीय मैदान में उतरी पुतुल देवी ने लडा़ई तिकोनी ज़रूर बना दी पर वह 1,03,729 वोट ही हासिल कर सकीं। शकील अहमद कांग्रेस छोड़ मधुबनी के मैदान में उतरे तो सही पर 1,31,530 वोट ही हासिल कर पाये। मधेपुरा में चुनाव लड़े पूर्व सांसद पप्पू यादव मात्र 97,631 वोट ही ला सके। हालांकि शरद यादव की हार में उन्होंने बड़ी लकीर खींचने का काम कर दिखाया।

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