उम्मीदवारों को लेकर उठापटक शुरू
उपचुनाव के लिए दोनों ही प्रमुख गठबंधनों के सहयोगी दलों में उम्मीदवारों को लेकर उठापटक शुरू हो गई है। हालांकि एनडीए में इस पर ज्यादा बवाल नहीं है। इसलिए कि पांच में से चार विधायक जो सांसद बने वे जदयू के ही थे। एक किशनगंज की सीट कांग्रेस की है, जिसे लेने के लिए भाजपा उत्साहित नहीं है। पांच विधानसभा सीटों के अलावा रामचंद्र पासवान के निधन से खाली हुई समस्तीपुर संसदीय सीट पर भी मतदान होना है। यह सीट लोकजन शक्ति पार्टी के खाते की स्वाभाविक सीट है, जिस पर दूसरे की दावेदारी नहीं बन सकती।
असली घमासान तो महागठबंधन में
असली घमासान तो महागठबंधन में है जहां सभी घटक दलों की अलग अलग दावेदारी है। कांग्रेस ने समस्तीपुर संसदीय सीट के अलावा दो विधानसभा सीटों पर दावेदारी कर रखी है। उसे किशनगंज और नाथनगर की सीटें चाहिए। ये दो सीटें कांग्रेस की दावेदारी का भी हिस्सा हैं। उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी की पार्टियों के दावे आने अभी बाकी हैं।विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले इस उपचुनाव में गठबंधनों का लिटमस टेस्ट है, जिसमें भावी स्वरूप की पटकथा लिख दी जाएगी। अगर अभी से खटपट शुरू हुई तो तय है कि विधानसभा की 243 सीटों पर खींचतान और गड़बड़ी की डीप स्टोरी लिख दी जाएगी।
किशनगंज-मो.जावेद-कांग्रेस
बेलहर-गिरिधारी यादव-जदयू
नाथनगर-अजय मंडल-जदयू
दरौंदा-कविता सिंह-जदयू
सिमरी बख्तियारपुर-दिनेशचंद्र यादव-जदयू संसदीय क्षेत्र-समस्तीपुर-लोजपा के दिवंगत सांसद रामचंद्र पासवान। (इन्हें कांग्रेस के डॉ अशोक राम ने टक्कर दी थी। )