खाली की तुलना में 20-25 फीसदी पद भरे
2013-२०14 में माध्यमिक क्षेत्र में 37945 शिक्षकों की रिक्तियां होने की जानकारी दी गई, जबकि सरकार ने मात्र 17500 ही रिक्तियां दिखाई। इनमें से मात्र दस हजार शिक्षकों की ही भर्ती हुई है।
इसी तरह उच्च माध्यमिक क्षेत्र में 52345 रिक्तियां दिखाई गई पर पंद्रह हजार की भर्ती प्रक्रिया ही शुरू की जा सकी। इनमें भी नियोजन के जरिए महज नौ हजार शिक्षक ही भर्ती किए जा सके हैं।
अनुरोध से अटकी भर्ती
2014-२०15 में कोई नियोजन नहीं किया जा सका। इसका सबसे बड़ा कारण सरकार ने एनसीटीई से अप्रशिक्षित अभ्यर्थियों के नियोजन का अनुरोध किया था। हालांकि एनसीटीई ने एससी, एसटी और ईबीसी कोटे के अप्रशिक्षित अभ्यर्थियों के नियोजन की ही अनुमति दी। ओबीसी और सामान्य कोटे पर छूट नहीं मिलने से हजारों पद रिक्त रह गए। वर्ष 2018 में भी नियोजन आधा-अधूरा ही हुआ।
पद खाली, भरने पर नहीं ध्यान
बीते चार सत्रों में तो सरकारी आंकड़ों पर यदि गौर किया जाए तो सररकार ने हर बार माध्यमिक व उच्च माध्यमिक में खाली पदों का ब्योरा उपलब्ध कराया, लेकिन पदों की भर्ती की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। सत्र 2015-२०16 में माध्यमिक क्षेत्र में 6681 और उच्च माध्यमिक में 9941 रिक्तियां थीं। इसी तरह 2016-२०17 में माध्यमिक क्षेत्र में 7345 और उच्च माध्यमिक में10138 रिक्तियां थीं। 2017-२०18 में 3542 माध्यमिक और 10167 उच्च माध्यमिक शिक्षकों के पद रिक्त रहे। इसी तरह 2018-२०19 में माध्यमिक शिक्षकों के 3696 और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की 10171 रिक्तियां दिखाई गई्र, लेकिन किसी भी वर्ष नियोजन के प्रति गंभीरता नहीं दर्शाई। ऐसे में विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षकों के बिना शिक्षा का हाल-बेहाल है।
अब बोले-सरकार जल्द पूरी करेगी भर्ती प्रक्रिया
बिहार के मानव संसाधन मंत्री के.एन. वर्मा स्वीकारते हैं कि शिक्षकों की भर्ती कम अनुपात में हुई है। सरकार इसे जल्द पूरा करने के प्रयास में जुटी है।