कुशवाहा ने पहले बनाई सियासी खीर,फिर लालू से मिले
रालोसपा को लेकर कई तरह के कयास शुरु से लगाए जाते रहे हैं। हाल ही में कुशवाहा ने सियासी खीर संबंधी बयान देकर सियासी गर्मी बढ़ा दी थी। हालांकि उन्होंने तब भी यह कहा था कि इससे एनडीए मजबूत होगा और इसके दूसरे मायने निकालना निरर्थक है। जबकि उससे पहले वह स्वास्थ्य का हाल लेने के बहाने लालू यादव से मिल चुके थे। राजनीतिक हलकों में पहले से चर्चा रही है कि दोनों नेताओं के बीच मध्यस्थ के जरिए फोन पर बातचीत खूब होती रही है। जानकार बताते हैं कि कुशवाहा ने सात सीटों का प्रस्ताव महागठबंधन के आगे रखा है। जदयू के एनडीए में आने के पहले से ही वह सरकार को घेरने का आंदोलन चलाते रहे हैं। कुशवाहा इन सब के बीच एनडीए में कायम रहने का भी खम ठोकते आ रहे जैसा तेजस्वी से मुलाकात के बाद वह कयासों को विराम देने के लिए बोल गए कि इस मुलाकात का कोई राजनीतिक अर्थ नहीं है।
सीटों की संख्या तय करने में रालोसपा का पेंच
एनडीए में सीटों की संख्या तय करने में रालोसपा का पेंच ही ज्यादा प्रमुख रहा है। जानकार बताते हैं कि कुशवाहा बेशक एनडीए में बने रहने का भरोसा भाजपा को देते रहे पर उनके रुख पर हमेशा संशय बना रहा। यही वज़ह है कि सीटों की संख्या की जगह फॉर्मूला तय किया गया। भाजपा को जदयू का साथ लेकर चुनाव में उतरना था। लिहाजा समय—समय पर भाजपा नेतृत्व कुशवाहा को भी बढ़ावा देते रहा है। सीटों का फॉर्मूला तय कर भाजपा नेतृत्व ने यह संकेत भी दे दिया कि उसके लिए जदयू का साथ खासा महत्वपूर्ण है। लोजपा की नज़र भी रालोसपा पर टिकी है। कुशवाहा यदि महागठबंधन में समाहित होते हैं तो लोजपा अपनी सीटों की संख्या बरकरार रखने में कामयाब हो सकती है।
भाजपा भी अंदेशे में
कुशवाहा के रुख को लेकर भाजपा में भी संशय बना रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुशवाहा महागठबंधन में जाएंगे ही। लेकिन पासवान कहीं नहीं जाने वाले। हालांकि जदयू नेता नीतीश कुमार के भावी रुख को भी भाजपा सिरे से नज़रअंदाज़ नहीं कर रही। यह अंदेशा भाजपा नेताओं को भी है कि नीतीश कुमार के अंतर्मन में प्रधानमंत्री बनने की चाहत छिपी है। चुनाव बाद के समीकरणों को देखकर वह कुमारस्वामी की तरह पाला बदल लेने में देर करने वाले नहीं हैं। सीटों की बराबर संख्या का दबाव बनाकर तालमेल करने के पीछे नीतीश कुमार की इस मंशा को भाजपा भांप रही है। लेकिन सियासत के दांव पहले से तय नहीं होते और कुछ आगे चलने के लिए थोडा़ पीछे भी चलना पड़ जाता है।