आरजेडी के फैसले से कांग्रेस असहज
आरजेडी की बैठक में आज तेजस्वी यादव को नेता चुना गया। तय किया गया कि इनके नेतृत्व में ही 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव ( bihar Assembly election 2020 ) लड़ा जाएगा। आरजेडी के इस निर्णय पर प्रदेश कांग्रेस काफी असहज हो गई।
सभी को नेता चुनने का अधिकार—कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता और एआईसीसी मेंबर प्रेमचन्द मिश्र ( Congress leader Premchand Mishra ) ने कहा कि यह आरजेडी का निजी फैसला है। हर पार्टी को अपना नेता चुनने का अधिकार है। कांग्रेस इसे महागठबंधन का फैसला नहीं मानती। मधुबनी से चुनाव लड़कर हारे शकील अहमद ने कहा कि नये दौर में नये सिरे से शुरुआत की जाएगी।
बता दें कि कांग्रेस बिहार में किशनगंज की लोकसभा सीट जीतकर इकलौता सांसद देने वाली महागठबंधन की पार्टी का श्रेय हासिल करने के साथ ही आरजेडी का नेतृत्व स्वीकार करने में कसमसा रही है। विधानसभा में भी पार्टी अलग अलग दिखती है। लोकसभा चुनावों में आरजेडी से अलग रहकर चुनाव में जाने की आवाज़ कांग्रेस के अंदर तेज़ी से उठी थी।
पहली बार नहीं जब सामने आया मनमुटाव
यह पहली बार नहीं है जब बिहार महागठबंधन के घटक दलों का मनमुटाव सामने आया है। इससे पहले भी लोकसभा चुनाव 2019 ( Lok Sabha Elections 2019 ) में कांग्रेस की हार से हताश राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद बिहार महागठबंधन में कलह शुरू हो गई थी। कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी का उदाहरण देते हुए तेजस्वी यादव से नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफे की मांग कर डाली थी। इस पर कांग्रेस नेताओं का कहना था कि बिहार में महागठबंधन ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा था। ऐसे में महागठबंधन की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। तेजस्वी के इस्तीफे की मांग को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उनके राजनीतिक पटल से गायब होने से भी जोड़कर देखा जा रहा था।
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