साथ ही लोगों पर बाघ के अटैक का दहशत भी है। इसके साथ ही बाघ रेगुरल फारेस्ट में उतने सुरक्षित नहीं हैं जितने कोर जोन में होते हैं। इससे दमोह वन विभाग के लिए बाघों की सुरक्षा अहम सवाल बन गया है। गौरतलब है कि पांच दिनों से दमोह मुख्यालय से सटे गांवों में पन्ना टाइगर रिजर्व से भागे बाघ की मूवमेंट लगातार सामने आ रही है। यह बाघ रविवार की सुबह दमोह जिले के नरसिंहगढ़ चौकी क्षेत्र के गांवों में देखा गया है, जबकि 12 घंटे पहले ही यह बाघ जेरठ गांव में था। बताया गया है कि बाघ लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार फिलहाल बाघ जिस रास्ते पर चल रहा है वह रास्ता टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में ले जा सकता है। वहीं बाघ के लगातार रहवासी इलाकों के इर्द गिर्द सामने आने की वजह से मवेशियों और इंसानों पर अटैक की आशंका है।
नरसिंहगढ़ चौकी क्षेत्र पहुंचा बाघ वन विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार जो बाघ पांच दिन पहले दमोह जिले के बालाकोट गांव में था वह यहां से भूरी गांव पहुंच गया था। यहां वह दो दिन रहा और फिर जिला मुख्यालय दमोह से सटे इलाके हथनी बीट के लाडऩबाघ की ओर पथरिया थाना क्षेत्र का रास्ता पकड़ लिया था।
शनिवार की दोपहर में बाघ की मौजूदगी पथरिया थाना क्षेत्र के जेरठ गांव में थी। वहीं रविवार सुबह बाघ यहां से करीब १५ किलोमीटर दूर नरसिंहगढ़ चौकी क्षेत्र में कारीजोग खेजरा होते हुए मुडिय़ा पालर क्षेत्र में होना बताया गया है।
इंसान को खतरा गांव के नजदीक खेतों में बाघ की मौजूदगी उसके लिए खतरा बनी हुई है। इसके अलावा दमोह जिले में शिकारियों की भी भरमार है। आए दिन जिले के जंगलों में वन्य प्राणियों के शिकार होने के मामले सामने आते रहते हैं। बाघ की लगातार बदलती स्थिति व उसका रहवासी इलाकों की ओर बढऩा बाघ व इंसान दोनों के लिए खतरा बना है।जिन स्थानों पर बाघ के मौजूद रहने की बात सामने आई है वहां लोग अपने खेतों में जाने से भी डर रहे हैं।