पन्ना में बाघों के री-इंट्रोडक्शन का हीरो और दा फादर ऑफ पन्ना टाइगर रिजर्व से सम्मानित बुजुर्ग बाघ टी-३ जीवन के अंतिम पड़ाव में एकाकी जीवन गुजार रहा है। अत्याधिक बूढ़े होने और शिकार करने की स्थिति में नहीं होने के कारण उसके ही वंशज बाघों ने उसे उसे टेरटरी (आवास) से खदेड़ दिया है।
अब वह पन्ना रेंज क्षेत्र में लाचारी में दिन काट रहा है। बीते दिनों एक अन्य बाघ से उड़ाई के दौरान उसके पैर में कुछ चोट आने की बातें भी सामने आई थीं, उसके बाद ही वह अपनी टेरटरी छोड़कर पन्ना रेंज में आ गया है। अत्याधिक बुजुर्ग होने के कारण शिकार करने की क्षमता भी प्रभावित हुई है। अब वह खुद की टेरटरी बनाने की हालत में भी नहीं है।
गौरतलब है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में करीब सात साल की उम्र में नर बाघ टी-3 को पेंच टाइगर रिजर्व से लाया गया था। कुछ दिन क्लोजर में रखने के बाद इसे 14 नवंबर को जंगल में स्वच्छंद विचरण के लिए छोड़ दिया गया था। यह बाघ पुनस्र्थापन योजना के संस्थापक बाघों में से है। यहां लाई गई बाघिन के साथ संसर्ग से करीब 70 शावकों ने जन्म लिया। पन्ना टाइगर रिजर्व में आज जितने भी बाघ घूम रह हैं सभी उसी के वंशज हैं। यहां उसकी पितामह जैसी स्थिति है।
वाइल्ड लाफ से जुड़े जानकारों के अनुसार बाघों की औसत आयु 14 से 14 साल होती है। वर्तमान में बाघ टी-3 की आयु करीब 17 साल है। पार्क प्रबंधन के अनुसार वह काफी बुजुर्ग है। बाघ टी-3 के शिकार में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाले दांत भी गिर गए हैं। वह इस लायक भी नहीं की अपने भोजन की व्यवस्था कर सके। किसी तरह छोटे-छोटे जीवों का शिकार करके अपने वृद्धावस्था को काट रहा है।
वत्सला की तरह दिया जा सकता है सम्मान यूं तो जंगल का कानून तो यह कहता है कि इसमें इंसान को दखल नहीं देना चाहिये। लेकिन टाइगर रिजर्व द्वारा जिस प्रकार से विश्व की सबसे वृद्ध हथनी वत्सला को विशेष सम्मान देकर उससे काम भी नहीं लिया जा रहा है और उसे विशेष देखरेख की जा रही है, उसी प्रकार बाघ टी-3 पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ री-इंट्रोडक्शन का हीरो है।
इसलिए वह सम्मान के साथ मौत का हकदार भी है। पार्क प्रबंधन उसे भी इनक्लोजर में रखकर उसकी लाइफ को कुछ समय के लिए सेफ कर सकता है। वाइल्ड लाइफ एक्टिविष्ट अजय दुबे बताते हैं कि टी-3 पीटीआर में बाघों का पितामह जैसा है। उसे विशेष सम्मान दिया जात सकता है। वह सम्मान के साथ मौत का हकदार है। उसकी लाइफ को शेफ करके उसे इनक्लोजर में ससम्मान रखा जा सकता है।
बढ़ाई गई सुरक्षा बाघ टी-3 अपनी युवावस्था में टाइगर रिजर्व के बहुत ही तेज बाघों में गिना जाता था। समय-सयम की ही बात है कि तब उसकी एक दहाड़ से आसपास के कई किमी. क्षेत्र के जंगल के जीव-जंतु सहम जाते थे और अब उसी बाघ की आज यह हालत है कि उसे घायल होने के बाद अपनी टेरटरी छोडऩी पड़ रही है।
बताया जाता है कि कुछ समय पूर्वतक बाघ बलैया सहा के आसपास रहा करता था। बीते दिनों एक नर बाघ उसकी टेरटरी में घुस आया और दोनों के बीच लड़ाई में बाघ टी-3 के पैर में कुछ चोट आ गई थी। इसके बाद वह अपना क्षेत्र छोड़कर पन्ना रेंज क्षेत्र में आ गया है। अब जीवन के अंतिम दिनों वह यही गुजार रहा है।
उसकी उम्र इतनी अधिक हो चुकी है कि पार्क प्रबंधन उसे ट्रेंकुलाइज करके मल्हम-पट्टी करन का रिस्क नहीं उठा सकता है। लिहाजा प्राकृतिक रूप से ही चोट के ठीक होने का इंतजार किया जा रहा। इस बीच उसकी भिड़ंत फिर किसी बाघ से नहीं हो इसको ध्यान में रखते हुए बाघ टी-3 की सुरक्षा जरूर बढ़ा दी गई है।
वाइल्डलाइफ में सब नेचुरल होता है। हम नेचुरली उसे प्रोटेक्ट कर रहे हैं। निश्चित ही वह सुपर हीरो है। इसीलिए नेचुरल वे पर उसे पूरा प्रोटेक्शन दिया जा रहा है। बूढ़ा होने पर इनक्लोचर में रखने या जू में भेजने का विधान ही नहीं है।
केएस भदौरिया, फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व
टी-3 पन्ना टाइगर रिजर्व में पिताहम की भूमिका में है। पन्ना में टाइगर री- इंट्रोडक्शन का सुपर हीरो होने के नाते वह सम्मान के साथ मौत का हकदार है। टाइगर रिजर्व प्रबंधन उसे इनक्लोजर में रखकर लाइफ सेव कर सकते हैं।
अजय दुबे, वाइल्डलाइफ एक्टिविष्ट