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तीस फीसदी आबादी युवा, मुद्दों में जिक्र नहीं, उच्च शिक्षा का केंद्र सपना, कुपोषण कलंक

locationपन्नाPublished: Nov 17, 2018 01:10:16 am

Submitted by:

Bajrangi rathore

तीस फीसदी आबादी युवा, मुद्दों में जिक्र नहीं, उच्च शिक्षा का केंद्र सपना, कुपोषण कलंक

 Malnutrition

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पन्ना (गुनौर)। जिले की सबसे पिछड़ी विधानसभा सीट गुनौर पर प्रदेश में सबसे कम चार प्रत्याशी मैदान में हैं। चुनावी सरगर्मी अब शुरू हो चुकी है। हायर सेकंडरी स्कूल के पास चाय की एक थड़ी पर चर्चा चल रही थी। इसमें हम भी शरीक हो लिए। निजी चिकित्सक डॉ. अजीत पाठक कहते हैं कि 30 फीसदी वोटर 18 से 29 साल के हैं। इतनी बड़ी युवा आबादी के बाद भी क्षेत्र में रोजगार का कोई जरिया नहीं है।
इसके बाद भी सरकार ने युवाओं के लिए कोई रोजगारपरक शिक्षा केंद्र या ट्रेनिंग सेंटर नहीें खोला। चर्चा में शामिल बाकी लोग भी इससे दुखी थे कि पक्ष या विपक्ष के भी पास जनता की समस्याओं का न समाधान है, न विजन। गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का कोई केंद्र नहीं है। विधानसभा क्षेत्र के गुन्नौर, अमानगंज, महेबा सहित कई कस्बों से मजदूर दिल्ली और पंजाब जा रहे हैं। कृषि आधारित क्षेत्र के बाद भी गर्मी में पेयजल संकट से जूझना पड़ता है।
तीर्थ दर्शन अच्छी, स्कूल भी खुल गए

सिली तिराहे पर मिले धर्मेंद्र तिवारी बताते हैं कि स्कूल और कॉलेज तो खुल गए हैं, लेकिन शिक्षक नहीं हैं। छात्राएं १२वीं के बाद आगे नहीं पढ़ पाती हैं। क्षेत्र कृषि प्रधान होने के कारण यहां फूड प्रोसेसिंग इकाइयों के लिए पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल मिल सकता है।
इसके बावजूद कोई सरकार गंभीर नहीं है। वहीं पास खड़े एक बुजुर्ग ने कहा कि बुजुर्गों को पेंशन मिली है, उनको तीर्थ दर्शन कराया है। सरकार की संबल योजनाओं से गरीबों का भला हुआ है। सड़कें पहले से अच्छी हुुई है। सरकारी काम भी पहले से जल्दी होने लगे पर कुपोषण के मामले में वैसा सुधार नहीं हुआ जैसा सरकार कहती है। यूं कहो कि हाल ओडिशा के कालाहांडी जैसे हैं।
बिजली बिल कम हुआ, अस्पताल में डाक्टर नहीं

सड़क किनारे सब्जी खरीद रहीं गृहिणी उर्मिला नामदेव बताती हैं कि अस्पताल में महिलाओं के इलाज के लिए व्यवस्था नहीं है। अस्पताल सिर्फ रेफर केंद्र बनकर रह गया। महिला डॉक्टर न होने से छोटी-छोटी बीमारियों में भी बाहर जाना पड़ रहा है। गरीबों का बिजली बिल सस्ता जरूर हुआ है।
हम आगे पहुंचे तो रेहाना बानो मिलीं..वे कहती हैं कि गरीबी और अशिक्षा से महिलाओं पर अत्याचार भी अधिक हो रहे हैं। छेड़छाड़ की घटनाएं आम है। डायल 100 के स्टाफ को बंधक बनाकर युवती का अपहरण हो जाता है..बाकी आप समझदार हैं।
न गुनी सागर भरा, न नहर में पानी आया

सिली तिराहे पर पान की दुकान पर खड़े किसान कोमल शिवहरे का कहना है कि पूरे क्षेत्र में खेती होती है। गुनौर और अमानगंज दो बड़ी मंडियां हैं। इसके बाद भी मंडियों की हालत में सुधार नहीं हो रहा। किसानों के पास खेतों की सिंचाई करने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है।
नेताओं ने कहा था कि बरगी बांध का पानी नहर से गुनू सागर तक लाएंगे, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। पास खड़े सीएल वर्मा तभी बोल पड़े कि बुंदेलखंड पैकेज के निर्माण कार्य में जो भ्रष्टाचार हुआ उसका लेखा-जोखा किसके पास है। भितरी मुटमुरू बांध साल से टूटा है। उसे सुधरवाने क्यों किसी ने ध्यान नहीं दिया। पावर हाउस के पीछे बने स्टेडियम का निर्माण आज तक पूरा नहीं हुआ।
जनता से रहे दूर प्रतिद्वंदी

वर्ष 2013 में भाजपा के महेंद्र सिंह बागरी कांग्रेस के शिवदयाल बागरी को हराकर विधायक बने। पिछले पास साल में दोनों ने ही जनता से दूरी बना ली। क्षेत्र में दोनों ही प्रत्याशी सक्रिय नहीं रहे।
2018 में भाजपा ने महेंद्र सिंह बागरी की जगह राजेश वर्मा को प्रत्याशी बताया है। वहीं कांग्रेस की ओर से इस बार भी शिवदयाल बागरी ही मैदान में हैं। बसपा ने जीवनलाल सिद्धार्थ को मौका दिया है। चौथा प्रत्याशी सपाक्स के खिलावन प्रसाद हंै।
ये हैं प्रमुख मुद्दे

पलायन: रोजगार के अभाव में बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं। पलायन असुरक्षित होने से दुर्घटना की स्थिति में किसी प्रकार का लाभ नहीं मिलता है।

बेरोजगारी: उद्योगों की स्थापना नहीं होने से यहां की बड़ी आबादी बेरोजगार है। खेतों में भी इतने लोगों को काम नहीं मिल पाता है कि वे जीवन यापन कर सकें।
सिंचाई के संसाधन: लोगों के लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। ऐसे हालात में लोग सिंचाई के लिए पानी कहां से लाएं। बारिश नहीं होने की स्थिति में किसानों की फसलें खेतों में ही सूख जाती हैं।
शिक्षा: कॉलेजों में विज्ञान की कक्षाएं नहीं लग रही हैं। शैक्षणिक स्टाफ का अभाव है। उच्च शिक्षा तो पूरी तरह से औपचारिकता बनकर रह गई है।

चिकित्सा: अस्पताल रेफरल बनकर रह गया है। महिला डॉक्टर नहीं है। छोटी समस्या होने पर भी लोगों को बाहर जाना पड़ता है।

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