महीनों इंतजार के बाद उनके लिए अभी भी पक्का माकान सपना ही बना है। गरीब आए दिन नगर परिषद पहुंचकर मकान बनवाने के लिए अधिकारियों से मिन्नत कर रहे हैं, इसके बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है। कुछ लोग लेटलतीफी और निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत जनसुनवाई में भी कर चुके हैं, इसके बाद भी समस्या यथावत बनी है।
जानकारी के अनुसार नगर परिषद अजयगढ़ द्वारा पहले चरण में नगरीय क्षेत्र में 416 पीएम आवास स्वीकृत किए गए थे। इसके तहत पात्र पाए लोगों को पीएम आवास बनवाने के लिए उनके पुराने घर तुड़वा दिए गए। कुछ लोगों के का हाल यह था कि उन्हें सिर छुपाने की भी जगह नहीं बची। पक्का मकान पाने के चक्कर में घर गिर जाने से वे सड़क पर आ गए। हालात यह रहे कि भरी बरसात में सिर छिपाने उनके हिस्से छप्पर तक नहीं बचा।
छह माह में एक भी गृह प्रवेश नहीं पीएम आवास में हो रही लेटलतीफी का ही परिणाम है कि बीते छह माह में जहां एक ओर नगर के सैकड़ों गरीब परिवार पन्नी के नीचे रहने को मजबूर हैं, वहीं परिषद द्वारा एक भी गृह प्रवेश नहीं कराया जा सका है। परिषद के जिम्मेदार और नोडल अधिकारी गरीबों को किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दे रहे हैं। स्थानीय लोगों ने भ्रष्टाचार कर अपात्रों को योजना का लाभ दिए जाने के आरोप लगाए हैं।
कहीं कुर्सी तक तो कहीं दरवाजे तक खड़े मकान नगर के करीब आधा सैकड़ा पीएम आवास निर्माणाधीन हैं। इससे नगर में जहां चले जाओ वहीं अधूरे मकान देखने को मिल जाते हैं। कहीं एक किश्त मिलने से मकान कुर्सी लेबल तक ही तैयार हो पाया है तो कहीं दो किश्त मिलने से छज्जा तक तैयार हो पाया है। अब बीम और छत डालने के लिए लोग तीसरी किश्त का इंतजार कर रहे हैं।
अधिकारियों ने उन्हें यह नहीं बताया कि तीसरी किश्त कब मिलेगी। हालात यह है कि जिस दिन उन्हें पता चल जाता है कि पीएम आवास वाले आने वाले हैं वे उस दिन परिषद कार्यालय पहुंचते ही नहीं हैं। नगर परिषद के जिम्मेदार भी मानते हैं कि पीएम आवास के कार्यों में भ्रष्टाचार हो रहा है और काम की रफ्तार भी धीमी है। नगर परिषद उपाध्यक्ष रामप्रताप गुप्ता के अनुसारनगर परिषद क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना धीमी गति से चल रही है। पात्र लोग अभी भी योजना से वंचित हैं। योजना की तीसरी किश्त समय से नहीं मिल पाने के कारण कई आवसों में छत नहीं पड़ पा रही है।