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खेत में मवेशी घुसने पर सिर फुटव्वल, जमकर चले लाठी-डंटे, चार लोग पहुंच गए अस्पताल जानिए पूरा मामला

locationपन्नाPublished: Jan 19, 2019 11:29:00 pm

Submitted by:

Bajrangi rathore

खेत में मवेशी घुसने पर सिर फुटव्वल, जमकर चले लाठी-डंटे, चार लोग पहुंच गए अस्पताल जानिए पूरा मामला

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crime in Panna district

पन्ना। मप्र के पन्ना जिले के शाहनगर क्षेत्र में खेत में मवेशी घुसने को लेकर दो पक्षों के बीच हुई मारपीट में चार लोग घायल हो गए हैं। सभी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवेंद्रनगर में भर्ती कराया गया है।
जानकारी के अनुसार ग्राम देवरा में संतकुमार पिता जग्गू आदिवासी के घर के बगल से लगे गेहूं के खेत में सूरत सिंह की भैंस घुस गई थी। बताया गया कि भैंस रोज गेहूं के खेत को नुकसान पहुंचा रही थी। जिसकी जानकारी देने संतकुमार रात करीब 8.30 बजे सूरत सिंह के घर गया था।
बताया गया कि इसी दौरान पूरन यादव, राजू यादव, राजेश यादव, बबलू यादव और राहुल यादव ने लट्ठ से संतकुमार एवं उसके पिता के साथ जमकर मारपीट की। मारपीट की घटना में दोनों पक्षों से चार लोग घायल हैं। घायलों को रात में ही डायल 100 की मदद से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया।
पुलिस के अनुसार मामले में दोनों पक्ष के लोगों ने एक-दूसरे के खिलाफ मारपीट की शिकायत की है। इस पर दोनों पक्षों पर अपराध दर्ज कर लिया गया है।

ठंड में ही बनने लगे सूखे के हालात, गर्मी में हुई गहरीकरण पर फिरा पानी
अमानगंज। गर्मी में मिढ़ासन नदी का गहरीकरण कराया गया था। जिससे बारिश का पानी रुके और भीषण गर्मी में पेयजल का संकट न हो, लेकिन नदी किनारे खेती करने वालों ने मोटर पंप लगाकर दूसरे किसानों के खेतों की सिंचाई कर मोटी रकम कमा रहे हैं। इससे ठंड में ही सूखे के हालात बनने लगे हैं।
मिढ़ासन जीर्णोद्धार समिति गठित के सहयोग से नदी का गहरीकरण किया गया था। गौरतलब है कि बीते साल गर्मी के दिन में जिस क्षेत्र में नदी का गहरीकरण किया गया था वहां काफी मात्रा में जल भंडार की उम्मीद थी। इस साल औसत से कम बारिश होने के बाद भी नदी में पर्याप्त पानी था। बारिश के दिन में इसे रोकने के प्रयास नहीं किए गए। इससे अधिकांश पानी बह गया।
खेतों में बोरिंग, फिर भी लगा रखी मशीनें

नदी किनारे खेती करने वाले किसानों में से अधिकांश ने अपने-अपने खेतों में बोरिंग करा रखी है। इसके बाद भी नदी में मोटर पंप लगाकर जल का दोहन कर रहे हैं। यहां रातदिन मोटरें लगाकर नदी के पानी से दूसरे किसानों के खेतों की सिंचाई की जा रही है।
इसके बदले वे किसानों से करीब तीन हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से रुपए वसूल रहे हैं। जानकारी लोगों ने अधिकारियों को दी है, इसके बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
अभी से खोदनी पड़ रही झिरिया

हालात यह है कि अब नदी में सिर्फ छोटे-छोटे गड्ढों में ही पानी बचा है जो पीने योग्य भी नहीं है। झिरिया खोदकर पानी निकालना पड़ रहा है। यदि जिम्मेदारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। जीव जंतु और वनस्पितियों को खतरा उत्पन्न हो गया है।
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