ऐसी ही पवित्र ब्रह्मचारिणी, ज्ञान और गुण द्वारा अवगुणों का विनाश करने वाली मातृृशक्ति का गायन नवदुर्गा के रूप में है। उन्होंने बताया, जिस प्रकार परमपिता परमात्मा शिव का अवतरण कलयुगी अज्ञान रात्रि में होता है और उनके जन्म को शिवरात्रि के रूप में मनाते हैं। उसी प्रकार नौ निधि नवरात्रि के रूप में है।
देवी के व्रत के साथ हमें मन से दुर्गुणों के त्याग की प्रतिज्ञा भी करनी चाहिए। नर ऐसी करनी करे जो नारायण बन जाये, नारी ऐसी करनी करे, जो लक्ष्मी के बन पूजी जाये। श्री लक्ष्मी के अंग-प्रत्यंग की तुलना कमल से करते हैं। हम सभी को लक्ष्य रखना है कि संसार रूपी कीचड़ में रहते हुए भी बुराइयों एवं गलत संस्कारों से दूर रहना है।
मां सरस्वती हंस पर विराजमान हांथ में वीणा लिये और धवल वस्त्रधारी दिखाया गया है। इसका आध्यात्मिक अर्थ यह है कि कलयुग के अंत में जो आत्माएं सादगी और पवित्रता का धवल वस्त्र धारण करती हैं, जिनके मन और मुख से सदा ज्ञान रूपी वीणा झंकृृत होती रहती है।
भजन-संध्या का आयोजन नगर के आरामगंज हाउस परिसर में देवी जागरण का कार्यक्रम हुआ। स्थानीय सतेंद्र प्रताप सिंह और राजकुमार साहू द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में जबलपुर के एक ग्रुप के कलाकारों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी। रात करीब 1 बजे तक चले इस भजन संख्या में आसपास के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।
बताया गया कि आयोजन को लेकर कई दिनों से तैयारियां की जा रही हैं। इस अवसर पर देवी पंडालों और मंदिरों में प्रतिदिन विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। नगर के मॉडल स्कूल में कन्याओं का भोजन का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। इस अवसर पर जगह-जगह ज्वारे बोए गए हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मातारानी का नौ दिनों तक व्रत रख रहे हैं।
मां ज्वाला की महाआरती में उमड़ी भीड़ अमानगंज। नवरात्रि पर नगर के प्रसिद्ध मां ज्वाला देवी के मंदिर में व नरसिंह दुर्गा उत्सव समिति में महाआरती का आयोजन किया गया। जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। ज्वाला की आरती और नरसिंह दुर्गा उत्सव समिति में माताओं-बहनों ने अपने अपने घरों से थाल में दीपक जलाकर मां की आरती की।