इसमें सामने आया कि सत्ता पक्ष के बदलाव की लाख इबारतें लिखने के दावे के बीच हाल यह है कि यहां आज भी लोग बेरोजगारी, पलायन, स्वच्छ पेयजल और जल निकासी जैसी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। गांव में होने वाले विकास कार्यों में भ्रष्टाचार पर प्रशासन रोक लगाने में नाकामयाब रहा है। पेश है जिले के तीनों विधानसभाओं के एक-एक ग्राम पंचायत की वास्तविक तस्वीर।
श्यामपुर में बगैर टैंक के बने शौचालय
बृजपुर. पन्ना विधानसभा के ग्राम पंचायत इटवांखास के श्यामपुर का नाम भले भगवान श्रीकृष्ण के नाम पर है पर यहां कुछ भी शुभ और सुविधाजनक नहीं है। यहां पहुंचने के बाद विकास के सारे दावों की सच्चाई सामने आ गई। 150 आदिवासी परिवारों वाले मोहल्ले में एक भी पीएम आवास नहीं है, जबकि पंचायत के ही रसूखदार लोगों के पीएम आवास बने हैं। यहां पेजयल की उचित व्यवस्था नहीं है। बारिश का पानी सड़कों पर बहता है। गांव के लोग जिस कुएं का पानी पीते थे वह दूषित हो गया है। पंचायत और प्रशासन किसी ने भी कुएं का पानी साफ करने के लिए दवा का छिड़काव नहीं किया। बीते दिनों बारिश में लोगों के घरों में पानी भर गया था। पंचायत द्वारा बारिश के पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं करने की सजा लोगों को भुगतनी पड़ी। यहां से विधायक प्रदेश सरकारी की वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री भी हैं। इसके बाद भी उन्होंने लोगों की कभी सुध नहीं ली। यहां कुछ लोगों के घरों में शौचालय तो बनाए गए हैं, लेकिन उनमें टैंक ही नहीं है, जबकि कुछ जगह टैंकों को ढका ही नहीं गया। लोगों के लिए आजीविका का कोई साधन नहीं है। इससे जंगल से लकड़ी लाकर व मजदूरी करके लोग किसी तरह से परिवार चला रहे हैं।
बृजपुर. पन्ना विधानसभा के ग्राम पंचायत इटवांखास के श्यामपुर का नाम भले भगवान श्रीकृष्ण के नाम पर है पर यहां कुछ भी शुभ और सुविधाजनक नहीं है। यहां पहुंचने के बाद विकास के सारे दावों की सच्चाई सामने आ गई। 150 आदिवासी परिवारों वाले मोहल्ले में एक भी पीएम आवास नहीं है, जबकि पंचायत के ही रसूखदार लोगों के पीएम आवास बने हैं। यहां पेजयल की उचित व्यवस्था नहीं है। बारिश का पानी सड़कों पर बहता है। गांव के लोग जिस कुएं का पानी पीते थे वह दूषित हो गया है। पंचायत और प्रशासन किसी ने भी कुएं का पानी साफ करने के लिए दवा का छिड़काव नहीं किया। बीते दिनों बारिश में लोगों के घरों में पानी भर गया था। पंचायत द्वारा बारिश के पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं करने की सजा लोगों को भुगतनी पड़ी। यहां से विधायक प्रदेश सरकारी की वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री भी हैं। इसके बाद भी उन्होंने लोगों की कभी सुध नहीं ली। यहां कुछ लोगों के घरों में शौचालय तो बनाए गए हैं, लेकिन उनमें टैंक ही नहीं है, जबकि कुछ जगह टैंकों को ढका ही नहीं गया। लोगों के लिए आजीविका का कोई साधन नहीं है। इससे जंगल से लकड़ी लाकर व मजदूरी करके लोग किसी तरह से परिवार चला रहे हैं।
आदर्श में घूरे के ढेर और सड़कों पर गंदा पानी
गुनौर. विस के ग्राम पंचायत महेबा को खजुराहो सांसद नागेंद्र सिंह ने गोद लिया है। बच्चे भी जन्म के कुछ माह बाद चलने लगते हैं, लेकिन सांसद के इस आदर्श गांव में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है। गोद लेने के करीब चार साल बाद भी यहां अभी जगह-जगह घूरे के ढेर लगे हैं। जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से घरों से निकला गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। गांव में करीब आधा दर्जन स्थानों पर अवैध रूप से शराब बेची जा रही है। इसकी जानकारी पुलिस को भी है। लोगों के लिए रोजगार के अवसर नहीं तलाशे गए। इससे यहां पूर्व की तरह ही बड़ी संख्या में लोग हर साल पलायन कर जाते हैं। गांव में सरकारी तौर पर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे यहां निजी चिकित्सकों के क्लीनिक खूब फल-फूल रहे हैं। हायर सेकंडरी स्कूल में शिक्षकों द्वारा पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण निजी स्कूल की तरफ बच्चों का झुकाव है। ग्राम पंचायत महेबा की अधिकांश आबादी किसानों की है जो बीते कई सालों से प्रकृति की मार झेल रहे हैं।
गुनौर. विस के ग्राम पंचायत महेबा को खजुराहो सांसद नागेंद्र सिंह ने गोद लिया है। बच्चे भी जन्म के कुछ माह बाद चलने लगते हैं, लेकिन सांसद के इस आदर्श गांव में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है। गोद लेने के करीब चार साल बाद भी यहां अभी जगह-जगह घूरे के ढेर लगे हैं। जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से घरों से निकला गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। गांव में करीब आधा दर्जन स्थानों पर अवैध रूप से शराब बेची जा रही है। इसकी जानकारी पुलिस को भी है। लोगों के लिए रोजगार के अवसर नहीं तलाशे गए। इससे यहां पूर्व की तरह ही बड़ी संख्या में लोग हर साल पलायन कर जाते हैं। गांव में सरकारी तौर पर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे यहां निजी चिकित्सकों के क्लीनिक खूब फल-फूल रहे हैं। हायर सेकंडरी स्कूल में शिक्षकों द्वारा पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण निजी स्कूल की तरफ बच्चों का झुकाव है। ग्राम पंचायत महेबा की अधिकांश आबादी किसानों की है जो बीते कई सालों से प्रकृति की मार झेल रहे हैं।
कुएं का गंदा पानी पी रहे और गंदगी में जी रहे
शाहनगर. पवई विधानसभा के ग्राम पंचायत कचौरी की स्थिति भी बदहाल है। यहां पंचायत की ओर से जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। इससे लोगों के घरों से निकला गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है और तेज बारिश होने पर वही पानी लोगों के घरों में घुस जाता है। कच्ची नालियां बनी हैं वे महीनों तक बजबजाती रहती हैं। उनकी सफाई नहीं कराए जाने के कारण वे बीमारी का कारण बन सकती हैं। स्कूल में पीने के पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। हेड मास्टर दौलत विश्वकर्मा ने बताया बीते दिनों बारिश में कुएं का पानी गंदा हो गया था, इसे साफ नहीं किया गया है। इससे बच्चे और शिक्षक गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। इस संबंध में जिम्मेदारों को जानकारी दी गई पर कुछ नहीं हो सका। यहां बच्चों को मध्याह्न भोजन तक मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता है। जहां बच्चों को भोजन दिया जाता है वहीं पर आवारा मवेशी और कुत्ते घूमते रहते हैं। भोजन के लिए हमले की आशंका बनी रहती है।
शाहनगर. पवई विधानसभा के ग्राम पंचायत कचौरी की स्थिति भी बदहाल है। यहां पंचायत की ओर से जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। इससे लोगों के घरों से निकला गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है और तेज बारिश होने पर वही पानी लोगों के घरों में घुस जाता है। कच्ची नालियां बनी हैं वे महीनों तक बजबजाती रहती हैं। उनकी सफाई नहीं कराए जाने के कारण वे बीमारी का कारण बन सकती हैं। स्कूल में पीने के पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। हेड मास्टर दौलत विश्वकर्मा ने बताया बीते दिनों बारिश में कुएं का पानी गंदा हो गया था, इसे साफ नहीं किया गया है। इससे बच्चे और शिक्षक गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। इस संबंध में जिम्मेदारों को जानकारी दी गई पर कुछ नहीं हो सका। यहां बच्चों को मध्याह्न भोजन तक मीनू के अनुसार नहीं दिया जाता है। जहां बच्चों को भोजन दिया जाता है वहीं पर आवारा मवेशी और कुत्ते घूमते रहते हैं। भोजन के लिए हमले की आशंका बनी रहती है।