वन अधिकारी रात भर देते रहे गश्त
कुम्भलगढ़ अभयारण्य की बोखाड़ा, सादड़ी, कुम्भलगढ़, देसूरी व झीलवाड़ा के 136 पेयजल स्रतों, रावली टॉडगढ़ के 62 व जवाई पैन्थर कंर्जवेशन 12 वाटर हाल पर गणना की गई। इस दौरान वन अधिकारी गश्त पर रहे। गणना में सीसीएफ राहुल भटनागर, उपमुख्य वन्यजीव प्रतिपालक फतेहसिंह राठौड़, सहायक वन संरक्षक यादवेन्द्रसिंह चूण्डावत, भंवरसिंह, क्षेत्रिय वन अधिकारी किशनसिंह राणावत, रेन्जर भैरूसिंह देसूरी, वनपाल बाबूलाल विश्नोई, वरदाराम मेघवाल, रेशमपालसिंह, मोहब्बतसिंह, ईश्वरसिंह चौहान, वीरमदेवसिंह सोनीगरा आदि ने सहयोग किया।
कुम्भलगढ़ अभयारण्य की बोखाड़ा, सादड़ी, कुम्भलगढ़, देसूरी व झीलवाड़ा के 136 पेयजल स्रतों, रावली टॉडगढ़ के 62 व जवाई पैन्थर कंर्जवेशन 12 वाटर हाल पर गणना की गई। इस दौरान वन अधिकारी गश्त पर रहे। गणना में सीसीएफ राहुल भटनागर, उपमुख्य वन्यजीव प्रतिपालक फतेहसिंह राठौड़, सहायक वन संरक्षक यादवेन्द्रसिंह चूण्डावत, भंवरसिंह, क्षेत्रिय वन अधिकारी किशनसिंह राणावत, रेन्जर भैरूसिंह देसूरी, वनपाल बाबूलाल विश्नोई, वरदाराम मेघवाल, रेशमपालसिंह, मोहब्बतसिंह, ईश्वरसिंह चौहान, वीरमदेवसिंह सोनीगरा आदि ने सहयोग किया।
कुछ गणक दिखे रोमांचित
क्षेत्रीय वन अधिकारी किशनसिंह राणावत ने बताया कि गणना पूर्व बारिश से बने प्राकृतिक वाटरहाल के कारण वन्यजीवों की आवाजाही के आशानुरूप प्रारम्भिक रूझान नहीं मिल पाए। जिससे गणना की गणित गडबड़ा सकती है। हालंाकि यह गणना आंशिक अंाकलनहै। कई ऐसे वाटरहाल है जो चिह्नित संख्या से बाहर है व बारिश से प्रभावित नहीं हुए है। वहां गणक रोमंाचित नजर आए।
क्षेत्रीय वन अधिकारी किशनसिंह राणावत ने बताया कि गणना पूर्व बारिश से बने प्राकृतिक वाटरहाल के कारण वन्यजीवों की आवाजाही के आशानुरूप प्रारम्भिक रूझान नहीं मिल पाए। जिससे गणना की गणित गडबड़ा सकती है। हालंाकि यह गणना आंशिक अंाकलनहै। कई ऐसे वाटरहाल है जो चिह्नित संख्या से बाहर है व बारिश से प्रभावित नहीं हुए है। वहां गणक रोमंाचित नजर आए।