पांच मौखा पुलिया के पास से एक टैंकर चालक जा रहा था। टैंकर चालक अण्डरब्रिज से होकर वृद्धाश्रम रोड होते हुए औद्योगिक क्षेत्र की तरफ मुड़ गया। वह आइटीआइ के आगे से होते हुए औद्योगिक क्षेत्र की एक गली में मुड़ा। वहां एक-दो फैक्ट्री छोडक़र एक फैक्ट्री के आगे रुका और फैक्ट्री के हौदी में जाने वाले पाइप में टैंकर का पाइप डालकर चला गया। टैंकर का पानी हौदी में खाली होना शुरू हो गया। इस टैंकर पर भी जलदाय विभाग का स्टीकर लगा था। जिस पर घरेलू उपयोग के लिए पानी आपूर्ति करना लिखा था।
पाली. जिले में पिछले वर्ष बरसात की कमी के कारण पेयजल संकट गहराया हुआ है। जिले के सबसे बड़े पेयजल स्रोत जवाई बांध में भी नाम का पानी शेष है। ऐसे में जिला कलक्टर के आदेश पर शहर के कुओं का पानी व्यवसायिक उपयोग में नहीं लेने का फरमान जारी कर टैंकरों को अनुबंधित किया गया। जो तय दर पर घरों में पानी की आपूर्ति करने के लिए लगाए गए, लेकिन जल माफिया आदेशों पर हावी है। इसी का परिणाम है कि टैंकर घरों के बजाय फैक्ट्रियों में खाली हो रहे है। फैक्ट्री संचालकों को इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि जिले में पानी की त्राहि-त्राहि मची है। वे तो अपना लाभ देख रहे हैं। बड़ी बात यह है कि इन टैंकर चालकों और जल माफिया के खिलाफ प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जलदाय विभाग ने टैंकरों पर स्टीकर लगाए है। उनका एक व्यक्ति बेरों पर बैठकर रसीद काटता है, इसके आगे विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है। टैंकर चालक पानी भरने के बाद कहां खाली हो रहा है। वह घरों तक जा रहा है या फैक्ट्रियों में। इससे विभाग और प्रशासन को कोई सरोकार नहीं है। इ
फैक्ट्री मालिकों ने उद्योगों में पानी का उपयोग लेने के लिए नया पैतरा अपनाया। वह है श्रमिकों के लिए पेयजल का। उन्होंने जिला कलक्टर से मिलकर प्रार्थना पत्र दिया कि श्रमिकों के लिए पेयजल का टैंकर भेजा जाए। इस पर कलक्टर ने उन्हें तय समय में टैंकर भेजने की इजाजत दी, लेकिन अब फैक्ट्री संचालक इसी के बहाने फैक्ट्रियों में पानी डलवा रहे हैं।
पानी के टैंकर गांधी मूर्ति, लाखोटिया उद्यान रोड, व्यंक्टेश मार्ग, रामदेव रोड होकर अधिक गुजरते हैं। जलदाय विभाग की ओर से तालाब किनारे बने कुओं से भरने वाले अधिकांश अनुबंधित टैंकर नगर परिषद की ओर से तालाब में बनाई कच्ची पाळ और रेलवे स्टेशन मार्ग होकर औद्योगिक क्षेत्र फैज प्रथम व द्वितीय के साथ मंडिया रोड की तरफ ही जाते है। यह धंधा रात में भी चल रहा है, लेकिन जल माफिया को कोई नहीं रोक रहा।
फैक्ट्रियों में श्रमिकों के लिए लिए 10-20 फैक्ट्री संचालकों ने पेयजल के लिए टैंकर डलवाने की इजाजत कलक्टर से ले रखी है। यह इजाजत किसी को 15 तो किसी को 20 दिन में एक टैंकर की दी है। टेक्सटाइल यूज के लिए हमारे पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता है। ऐसा हो रहा है तो पता कर कार्रवाई की जाएगी।