राजीव दवे. पाली. इन्द्र देव पिछले साल पाली से रुठ गए थे, जो अभी तक भी पूरी तरह से प्रसन्न नहीं हुए है। हालांकि दो बार उन्होंने बरसात की, लेकिन बांधों (
dam) व धरती की कोख भरने जितना जल नहीं बरसा। आज हालात यह है कि पाली के सभी 10 ब्लॉक में पिछले साल की तुलना में औसत चार मीटर तक भूजल स्तर गिर गया है। भूजल विभाग के कागजों में भी जिले को अतिदोहित बताया गया है, लेकिन यहां पानी का लगातार दोहन आज भी जारी है। टैंकर भरकर औद्योगिक इकाइयों व कैम्पर बेचने वाले धरती की कोख को सोखते जा रहे हैं। इसके बावजूद उनको रोकने का कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।
जिले के 22 बांध सूखेऐसे में यदि इस बार जवाई (
JAWAI DAM) या अन्य बांधों में पानी की आवक नहीं होती है तो जिले में बड़ा जल संकट गहरा सकता है। इधर, सिंचाई विभाग के अनुसार जिले में कई जगह झमाझम बरसात के बावजूद अभी तक 22 बांध पूरी तरह से सूखे है। जिले के सबसे बड़े जवाई बांध में भी नाम मात्र का पानी आया है। जो पूरे साल के लिए पर्याप्त नहीं है।
तय कुओं से निकाला जाता है स्तरभूजल का स्तर निकालने के लिए भूजल विभाग की ओर से जिले की हर तहसील में आधार भूत कुएं है। केवल उनमें पिछले वर्ष व इस वर्ष उपलब्ध जल राशि के आधार पर भूजल (
GROUND water ) का स्तर नापा जाता है। इसके अलावा बरसात के आंकड़ों पर भी सर्वे किया जाता है।
यों समझ सकते हैं अतिदोहित का अर्थपाली जिला भूजल के हिसाब से अतिदोहित की श्रेणी में आता है। इसे सरल भाषा में कहे तो जिलेवासी अब तक भूजल का पूरा उपयोग कर चुके है। अब वे बैंक से एफडी तुड़वाकर रुपए काम में लेने की तरफ पाली के भूजल का दोहन कर रहे है। जो भविष्य के लिए बेहतर नहीं है।
यह कहता है नियमराज्य में किसी भी जगह पर ट्यूबवेल या कुआं (
WELL) खोदने के लिए नियम तय है। इसके तहत जिला कलक्टर की अनुमति लेना जरूरी है। इसके बावजूद जिले के गांवों व कस्बों में धड़ल्ले से ट्यूबवेल खोदकर पानी माफिया पानी बेच रहा है।
भूजल के हिसाब से बेहतर नहींआधार भूत कुओं के आधार पर भूजल स्तर का आंकलन किया जाता है। उसमें उतार चढ़ाव के साथ बरसात भी देखी जाती है। पाली जिला वैसे भूजल के हिसाब से बेहतर नहीं है।
सूर्यपालसिंह, मुख्य अभियंता, भूजल विभाग