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कोई कुछ भी कहे जनता तो बदलाव के मुड में है इस बार

locationपालीPublished: Nov 13, 2018 01:22:48 pm

Submitted by:

Rajeev

पाली विधानसभा के चौराई क्षेत्र के गांव प्रदूषण के साथ ही झेल रहे जलसंकट तो शहर सीवरेज की समस्या से आजीजप्रदूषण नहीं मिटने पर मुंह नहीं दिखाने को कहा था, अब कौनसा मुंह दिखाएंगे विधायक?

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ग्रामीणों कहते हैं : बदलाव के मुड में है इस बार

राजकमल व्यास की रिपोर्ट
पाली. पाणी रो टोटो है सा। कोई सुणवाई कोनीं। म्हां कांई मवेशियां भी तिरसा फिरे, डीजल-पेट्रोल रा भाव जिता उतारिया वित्ता पाछा चढ़ाया परा, पोपा बाई रो राज है। हैंठोड़ा लोगां ने तो बजरी नसीब होई जावे पर थाकोड़ा ने तो फाका भी नसीब कठै, विधायक बनते ही प्रदूषण की समस्या मिटाने को कहा था। नहीं मिटने पर मुंह तक नहीं दिखाने का दावा किया था। अब कौनसा मुंह दिखाएंगे? चुनावी सरगर्मियों के बीच लोगों का मन टटोलने पाली विधानसभा क्षेत्र के गांवों में पहुंचा तो कमोबेश ऐसे ही बोल सुनाई पड़े। यहां गांवों में आबाद दुनिया की आंखों में चमक के बजाय निराशा ही दिखी तो चेहरे पर गुस्से के भाव। खेती-बाड़ी व मजदूरी पर आश्रित तबका खुले आम बदलाव का झंडा उठाए दिखा।
वैसे तो पाली री पंचायती इसकी पहचान बन गई है, लेकिन आर्थिक तंत्र की बात करें तो कपड़ा उद्योग ही पाली की जीवनरेखा है। ये बात और है कि इसे ख्याति दिलाने वाला कपड़ा उद्योग ही दो साल से पाली के गले की घंटी बना हुआ है। आठ सौ से अधिक कपड़ा फैक्ट्रियों वाले इस विधानसभा क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में ना जाने कितनी बार प्रदूषण का मुद्दा उठा होगा और प्रदर्शन हुए होंगे। लेकिन इसका अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।
मैं साथी संवाददाता दिनेश शर्मा के साथ पाली विधानसभा क्षेत्र के लोगों की नब्ज टटोलने बाइक से निकला तो कहीं टूटी-फूटी तो कहीं हाल ही में कालिख पुती डामर सडक़ों से गुजरना पड़ा। ऊंदरा गांव के मुहाने पर ही हनुमान मंदिर के बाहर चबूतरे पर बैठे कुछ ग्रामीण बतियाते मिले। गांव की समस्या पूछी तो मंगलाराम देवासी बोले अठै पानी री कमी है सां। कोई सुणवाई कौनी। म्हां कांई मवेशियां भी तिरसा फिरे। जोगाराम ने मंगलराम की हां में हां मिलाई। बोले, पानी का टांका क्षतिग्रस्त है। विधायकजी को बताया तो उन्होंने सिर्फ कारी करवा दी। अब टांके में दो घंटे से ज्यादा पानी टिकता ही नहीं। चुनावी बात छेड़ी तो बोले नेता ऐसा हो जो सबका काम करवाए। भले ही फिर वो किसी भी पार्टी का हो। युवा रामू सैन सरकार से नाराज दिखे। बोले, बीजेपी की सरकार ने वादे किए थे कि घर-घर पानी के कनेक्शन होंगे, समय पर पानी आएगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। यहां नेमाराम पटेल, लक्ष्मण पटेल, मांगीलाल हीरागर, रूपाराम, चंद्राराम मेघवाल आदि भी विधायक से खफा दिखे और बदलाव की मंशा जताई। यहां से हम गांव की खस्ताहाल सडक़ से होते हुए वायद पहुंचे तो कुछ किसान गाड़ोलिया लोहार के पास जमे मिले। चुनावी बात छेड़ी तो गुस्सा हो गए। बिना नाम बताए ही सरकार पर आरोपों की बौछार करने लगे। बोले, डीजल-पेट्रोल रा भाव तो आसमान पुंगाया। किसानों की तो कोई सुनवाई नहीं है।
यहां लोहे के औजारों को आग की भट्टी में गर्म करते-करते लीला देवी बोली, तीन साल पहले उनको जमीन देने की घोषणा की थी, लेकिन सब हवा में। यहां चर्चा के बाद कुछ थकान हुई तो आगे ही बस स्टैण्ड स्थित चाय की थड़ी पर रुक गए। वहां पहले से ग्रामीणों का मजमा लगा था। चाय की चुस्की के साथ मैंने गांवों की समस्या पूछी तो सोमपुरी ने कहा, गांव में सार्वजनिक टांके पर एक भी नल नहीं है। युवा नरेन्द्र ने विधायक को व्यवहार कुशल तो बताया, लेकिन विकास के लिए बदलाव की जरूरत बताई। बोला, सरदारपुरा की ढाणी के लोग पिछले 20 साल से सडक़ की बाट जोह रहे हैं। आरोप भी दागा कि विधायक कुछेक लोगों के इशारों पर ही चलते हैं। नेमाराम मीणा ने इसका समर्थन करते हुए कहा, हम विधायकजी के पास काम लेकर जाएंगे। लेकिन उनके कुछ करीबी कहेंगे तो ही हमारा काम होगा। उनके लोगों के फोन पर ही काम हो जाते हैं। वहां बींजा गांव के गीगाराम बोले, पेंशन लेने के लिए 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है। विधायक के बारे में पूछा तो बोले कि वे हमारे पास तो आते नहीं। हां, अब चुनाव है तो जरूर दिख जाएंगे।
जैतपुर बस स्टैण्ड पर चाय की थड़ी पर पहुंचे तो पूरी दुकान ही राजनीतिक गलियारों से पुती मिली। सालों पुरानी खबरों की कटिंग हो या फिर किसी भी पार्टी का नेता, सभी के पोस्टर चस्पा थे। राजनीति से रंगी इसी चारदीवारी के बीच बैठे लोगों के साथ चुनावी तान छेड़ी तो नरपतसिंह बोले, इस बार पुराने प्रतिद्वंद्वी सीट निकाल सकते हैं। धोलेरिया शासन के हरिराम विश्नोई ने कहा कोई भी मैदान में उतरे सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी। दोनों की बात काटते हुए गढ़वाड़ा के मनोहरदान बोले बीस साल से एक ही व्यक्ति को देखा है। नए पर कैसे भरोसा करें। बीजेपी राज में काम अच्छे हो रहे हैं। यहां बाबूनाथ बोल पड़े भाजपा के राज में कुछ भी नहीं हुआ। जनता प्रदूषण का दर्द झेल रही है। इस बीच गढ़वाड़ा के मनोहरदान बोले विधायक के इर्द-गिर्द रहने वाले चंद करीबियों से परेशानी है।
अशोक गहलोत के राज में 50 रुपए में पानी की टंकी भरवाई जाती थी जो अब 500 रुपए तक पहुंच गई है। गांव से अन्य गांवों में पानी जा रहा है। लेकिन यहां लोग प्यासे हैं। इस बीच यहां मौजूद भाजपा के ही एक कट्टर समर्थक वीरमसिंह बोल पड़े होश संभाला तब से बीजेपी को वोट दे रहा हूं। लेकिन इस बार नहीं दूंगा। प्रदूषण ने किसानों को बर्बाद कर दिया है।
इस पर बाबूनाथ फिर बोले कि ज्ञानचंद पारख ने विधायक बनते ही प्रदूषण की समस्या मिटाने को कहा था। नहीं मिटने पर मुंह तक नहीं दिखाने का दावा किया था। अब वो किस मुंह से वोट मांगने आएंगे?

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फायर ब्रिगेड तो यहां अब भी सपना
यहां वायद के ही रमेशसिंह राजपुरोहित बोले, सालों हो गए विधायक ने कभी बैठक नहीं ली। इसमें रोहट के वीरेन्द्र सिंह ने भी हां में हां मिलाई। बोले, 20 साल में भी हालात नहीं बदले। जब भी आग लगे तो पाली-जोधपुर का मुंह ताकना पड़ता है। फायर ब्रिगेड पहुंचती है तब तक सब खाक हो चुका होता है। वसुंधरा राजे का तो नाम लेते ही सबने से इसे सिरे से खारिज कर दिया। बोले, राज्य में तो बदलाव होना तय है। यहां मौजूद तेराराम बावल, भीखाराम, भंवरू खां ऊंदरा, नेमाराम, पदमाराम हंजावा ने खस्ताहाल सडक़ों के साथ ही पानी का दर्द बयां किया। बोले, पाती-चेंडा के बीच सडक़ नहीं है। पिछली बार बाढ़ के पानी से पाती घिर गया था, लेकिन विधायक अब तक समाधान नहीं करा पाए। सिराणा पुलिया की रपट भी अधूरी है। यहां से चर्चाओं को विराम देने के बाद वायद से मांडावास के लिए निकले तो बीच रास्ते चेंडा गांव आया। अस्पताल के सामने ही पत्थरों पर कुछ ग्रामीण मिले। चुनावी रूझान पूछा तो जालाराम बोले, हवा बदलाव री हालै है। विक्रमसिंह भी बोले, सरकार रो राज देख लियो। बजरी माथे रोक है। कमठा बंद है नै मिस्त्री अर मजूर घरे बैठा हैं। सौर ऊर्जा में भेदभाव का आरोप लगाया। कहा कि जो उनके करीबी थे उनके इशारों पर ही लाइटें लगवाई। यहां हड़मानराम, भुंडाराम, सुंदरदास व दरगाराम आदि ने भी विधायक से नाराजगी जताई।
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जो हौदियां बनाई, उसमें भी भेदभाव
साथी फोटोग्राफर शेखर राठौड़ के साथ शहरी इलाके की नब्ज टटोलने मैं पहुंचा आशापुरा कॉलोनी। विकास से कोसो दूर इस कॉलेनी में प्रेमदेवी गंदगी और सीवरेज से खफा दिखीं। बोलीं, काम अच्छा नहीं हुआ। हौदियां बनाई गई उसमें भी भेदभाव किया गया। मीना देवी का दर्द भी ये ही कि सीवरेज की हौदियां अभी शुरू भी नहीं हुई लेकिन टूटने लगी हैं। विधायक के कामकाज का पूछा तो बोलीं उनके पास समस्या लेकर मोहल्लेवासी दो बार गए थे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। चर्चा के बीच पहुंचे प्रकाश बोले कि यहां गंदगी व सीवरेज की समस्या है। यहां अधिकांश लोगों का ये ही कहना था कि भले ही कहीं और काम हुआ होगा लेकिन, हम तो दर्द ही झेल रहे हैं।
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