यहां वायद के ही रमेशसिंह राजपुरोहित बोले, सालों हो गए विधायक ने कभी बैठक नहीं ली। इसमें रोहट के वीरेन्द्र सिंह ने भी हां में हां मिलाई। बोले, 20 साल में भी हालात नहीं बदले। जब भी आग लगे तो पाली-जोधपुर का मुंह ताकना पड़ता है। फायर ब्रिगेड पहुंचती है तब तक सब खाक हो चुका होता है। वसुंधरा राजे का तो नाम लेते ही सबने से इसे सिरे से खारिज कर दिया। बोले, राज्य में तो बदलाव होना तय है। यहां मौजूद तेराराम बावल, भीखाराम, भंवरू खां ऊंदरा, नेमाराम, पदमाराम हंजावा ने खस्ताहाल सडक़ों के साथ ही पानी का दर्द बयां किया। बोले, पाती-चेंडा के बीच सडक़ नहीं है। पिछली बार बाढ़ के पानी से पाती घिर गया था, लेकिन विधायक अब तक समाधान नहीं करा पाए। सिराणा पुलिया की रपट भी अधूरी है। यहां से चर्चाओं को विराम देने के बाद वायद से मांडावास के लिए निकले तो बीच रास्ते चेंडा गांव आया। अस्पताल के सामने ही पत्थरों पर कुछ ग्रामीण मिले। चुनावी रूझान पूछा तो जालाराम बोले, हवा बदलाव री हालै है। विक्रमसिंह भी बोले, सरकार रो राज देख लियो। बजरी माथे रोक है। कमठा बंद है नै मिस्त्री अर मजूर घरे बैठा हैं। सौर ऊर्जा में भेदभाव का आरोप लगाया। कहा कि जो उनके करीबी थे उनके इशारों पर ही लाइटें लगवाई। यहां हड़मानराम, भुंडाराम, सुंदरदास व दरगाराम आदि ने भी विधायक से नाराजगी जताई।
साथी फोटोग्राफर शेखर राठौड़ के साथ शहरी इलाके की नब्ज टटोलने मैं पहुंचा आशापुरा कॉलोनी। विकास से कोसो दूर इस कॉलेनी में प्रेमदेवी गंदगी और सीवरेज से खफा दिखीं। बोलीं, काम अच्छा नहीं हुआ। हौदियां बनाई गई उसमें भी भेदभाव किया गया। मीना देवी का दर्द भी ये ही कि सीवरेज की हौदियां अभी शुरू भी नहीं हुई लेकिन टूटने लगी हैं। विधायक के कामकाज का पूछा तो बोलीं उनके पास समस्या लेकर मोहल्लेवासी दो बार गए थे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। चर्चा के बीच पहुंचे प्रकाश बोले कि यहां गंदगी व सीवरेज की समस्या है। यहां अधिकांश लोगों का ये ही कहना था कि भले ही कहीं और काम हुआ होगा लेकिन, हम तो दर्द ही झेल रहे हैं।