ब्रेन के हिम्पोकेम्पस हिस्से में पॉजिटिविटी पनपती है। ये न्यूरॉन्स के जरिए पूरी बॉडी में पॉजिटीविटी फैलाता है। ब्रेन में मौजूद न्यूरोकोमिकल डोपामाइन के तेज रिसाव से पॉजिटीविटी बढ़ती है। इसका फ्लो ठीक से नहीं हो तो नेगेटीविटी आती है। वैज्ञानिकों की मानें तो दूध, केला और पोल्ट्री प्रोडक्ट में डोपामाइन का रिसाव बढ़ता है।
कहते हैं कि सुबह घोड़े की चाल चलना चाहिए और शाम को हाथी की चाल। इससे दिल और दिमाग दोनों अच्छे रहेंगे। मात्र 20 मिनट वॉक से खुशी वाला दिमाग का हिस्सा तेजी से फैलता है। रिसर्च के मुताबिक 16 से 18 साल की उम्र में, इंसान सबसे ज्यादा खुश रहता है। 50 की उम्र में यह लेवल सबसे कम होता है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने 7-10 साल के बच्चों के ब्रेन को स्केन पर पाया भी सकारात्मक होने से बच्चों में गणित की समझ और समस्या सुलझाने की क्षमता में विकास होता है। दूसरा नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने के संदर्भ में शोध हुई और बताया गया कि सकारात्मक लोग मिलनसार होते हैं। इसके चलते उन्हें वर्कप्लेस और समाज में लीड करने के ज्यादा मौके मिलते हैं। तीसरा रिसर्च कहता है कि हैप्पीनेस से सफलता के मौके 58 प्रतिशत ज्यादा मिलते हैं।
मैथ्यू रिकर्ड दुनिया के सबसे खुशहाल शख्स है। खुद पर 45 साल की स्टडी के बाद उन्होंने पाया कि दूसरों की मदद और दान से ही खुशी मिलती है। हर घंटे, 10 सैकंड के लिए हाथ उपर रख बॉडी स्ट्रेच करने से मांसपेशिया ढिली पड़ती है। खुशी बाले कैमिकल्स एक्टिव होते हैं। साथ ही घर व वर्र्किंग प्लेस में चहेतों की मुस्कुराती तस्वीर लगानी चाहिए।