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Doctor’s Day : पॉजिटिव रहने से 52% तक बढ़ती है रोगों से लडऩे की क्षमता, 90 देश अपना चुके हैं हैप्पीनेस थैरेपी

locationपालीPublished: Jul 01, 2019 03:48:58 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

– हैप्पी रहें और तनाव को नजदीक ही नहीं फटकने दें-पॉजिटिव रहने से 52 प्रतिशत तक बढ़ती है रोगों से लडऩे की क्षमता- 90 देश अपना चुके हैं हैप्पीनेस थैरेपी
 

Special Story on Happiness Therapy on Doctor's Day in pali

Doctor’s Day 2019 : पॉजिटिव रहने से 52% तक बढ़ती है रोगों से लडऩे की क्षमता, 90 देश अपना चुके हैं हैप्पीनेस थैरेपी

गेस्ट राइटर- डॉ. कैलाश प्रजापति, एमडी (पंचकर्म चिकित्सा)

पाली। तनाव आज समूचे विश्व की सबसे गंभीर बीमारी है। तनाव से सारी बीमारियां जन्म लेती है, लेकिन तनाव से बचने के लिए दवाइयां कारगर नहीं है। इसका सबसे कारगर व अमोघ उपचार है हैप्पीनेस थैरेपी। यानी हैप्पी रहें और तनाव को नजदीक ही नहीं फटकने दें। हैप्पीनैस थैरेपी आज 90 से ज्यादा देश अपना चुके हैं। इससे मरीज और डॉक्टर नर्स ग्रुप डांस, हंसी गले लगाकर पॉजिटिविटी बूस्ट करते हैं। Doctor’s Day पर happiness therapy पर विशेष स्टोरी…
दरअसल, यूएस ने 1998 में पॉजिटिविटी का पहला कोर्स शुरू किया। अब आइआइटी, हावर्ड जैसे पांच संस्थानों में इसे पढ़ाया जा रहा है। हैप्पीनेस पर सालाना सौ रिसर्च हो रही हैं। जापान समेत कई देशों ने तो अपने कर्मचारियों को जंगल में घुमाना शुरू किया है।
बीस मिनट वॉक बढ़ाती है खुशी
ब्रेन के हिम्पोकेम्पस हिस्से में पॉजिटिविटी पनपती है। ये न्यूरॉन्स के जरिए पूरी बॉडी में पॉजिटीविटी फैलाता है। ब्रेन में मौजूद न्यूरोकोमिकल डोपामाइन के तेज रिसाव से पॉजिटीविटी बढ़ती है। इसका फ्लो ठीक से नहीं हो तो नेगेटीविटी आती है। वैज्ञानिकों की मानें तो दूध, केला और पोल्ट्री प्रोडक्ट में डोपामाइन का रिसाव बढ़ता है।
बैठे रहने से ज्यादा चलने में खुशी
कहते हैं कि सुबह घोड़े की चाल चलना चाहिए और शाम को हाथी की चाल। इससे दिल और दिमाग दोनों अच्छे रहेंगे। मात्र 20 मिनट वॉक से खुशी वाला दिमाग का हिस्सा तेजी से फैलता है। रिसर्च के मुताबिक 16 से 18 साल की उम्र में, इंसान सबसे ज्यादा खुश रहता है। 50 की उम्र में यह लेवल सबसे कम होता है।
सकारात्मकता पर पांच वैज्ञानिक शोध
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने 7-10 साल के बच्चों के ब्रेन को स्केन पर पाया भी सकारात्मक होने से बच्चों में गणित की समझ और समस्या सुलझाने की क्षमता में विकास होता है। दूसरा नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने के संदर्भ में शोध हुई और बताया गया कि सकारात्मक लोग मिलनसार होते हैं। इसके चलते उन्हें वर्कप्लेस और समाज में लीड करने के ज्यादा मौके मिलते हैं। तीसरा रिसर्च कहता है कि हैप्पीनेस से सफलता के मौके 58 प्रतिशत ज्यादा मिलते हैं।
चौथी बोस्टन यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पॉजिटिव रहने वालों की काम की क्षमता 72 प्रतिशत ज्यादा रहती है। पिस्टन यूनिवर्सिटी की रिसर्च की माने तो खुशनुमा लोग रिश्ते सिद्दत से निभाते हैं। तलाक कम होते हैं। पांचवी बीएपीएस प्रमुख स्वामी महाराज हेल्थ सिसर्च के मुताबिक सकारात्मकता से रोगों से लडऩे की क्षमता (इम्यूनिटी पॉवर) 52 प्रतिशत बढ़ जाती है। हार्टअटैक जैसे रोग 39 प्रतिशत कम होते हैं।
दूसरों की मदद करें, खुशी मिलेगी
मैथ्यू रिकर्ड दुनिया के सबसे खुशहाल शख्स है। खुद पर 45 साल की स्टडी के बाद उन्होंने पाया कि दूसरों की मदद और दान से ही खुशी मिलती है। हर घंटे, 10 सैकंड के लिए हाथ उपर रख बॉडी स्ट्रेच करने से मांसपेशिया ढिली पड़ती है। खुशी बाले कैमिकल्स एक्टिव होते हैं। साथ ही घर व वर्र्किंग प्लेस में चहेतों की मुस्कुराती तस्वीर लगानी चाहिए।
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