सोनिया के सपनों को परवाज, अब दोगुने जोश से नचाएगी वॉलीबाल
पालीPublished: Sep 27, 2019 01:04:15 am
खेल मैदान में एक हाथ से वॉलीबाल को नचाने वाली सोनिया के लिए 26 सितम्बर का दिन खुशियां लेकर आया है। अब वह एक नहीं, बल्कि दोनों हाथों से वॉलीबाल के मैच में अपने हुनर का प्रदर्शन कर पाएगी। यह सब संभव हो पाया है एक प्रवासी राजस्थानी दानदाता के सहयोग से, जिन्होंने सोनिया का पुणे शहर में ऑपरेशन का बीड़ा उठाया।
सोनिया के सपनों को परवाज, अब दोगुने जोश से नचाएगी वॉलीबाल
बाबरा (पाली). खेल मैदान में एक हाथ से वॉलीबाल को नचाने वाली सोनिया के लिए 26 सितम्बर का दिन खुशियां लेकर आया है। अब वह एक नहीं, बल्कि दोनों हाथों से वॉलीबाल के मैच में अपने हुनर का प्रदर्शन कर पाएगी। यह सब संभव हो पाया है एक प्रवासी राजस्थानी दानदाता के सहयोग से, जिन्होंने सोनिया का पुणे शहर में ऑपरेशन का बीड़ा उठाया। गांव की इस बेटी के इस हुनर पर राजस्थान पत्रिका ने विशेष कवरेज किया था, जिस पर दानदाता ने इसकी जानकारी जुटाई और ये बीड़ा उठाया।
दरअसल, बाबरा में एक से पांच सितम्बर तक ६४वीं जिलास्तरीय वॉलीबाल (१९ वर्षीय छात्रा वर्ग) प्रतियोगिता हुई थी, जिसमें राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय देवली कलां की छात्रा सोनिया सीरवी भी पहुंची थी। एक हाथ नहीं होने के बावजूद सोनिया ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उसकी सर्विस तो काबिले तारीफ रही। इस पर चार सितम्बर के अंक में राजस्थान पत्रिका में ‘हमारी प्रतिभा : मैदान में वॉलीबाल को एक हाथ से नचाने का नाम है सोनिया’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। साथ ही प्रतियोगिता समापन पर सोनिया को ग्रामीणों ने नकद राशि देकर पुरस्कृत किया। पत्रिका मंे प्रकाशित ये खबर को बाबरा विद्यालय के प्रधानाचार्य नन्दलालसिंह जोधा ने बाबरा निवासी एवं प्रवासी दानदाता रणवीरसिंह राठौड़ पुत्र दशरथसिंह पुणे को भिजवाई। ये खबर पढ़ रणवीरसिंह ने सोनिया के परिजनों से बाबरा प्रधानाचार्य जोधा के मार्फत सम्पर्क साधा। २५ सितम्बर को ही सोनिया अपने पिता भंवरलाल सीरवी के साथ पुणे पहुंच गई, जहां गुरुवार को सोनिया के एक कृत्रिम हाथ लगाने की प्रक्रिया देर शाम तक पूर्ण कर ली गई। अपने दोनों हाथ देख सोनिया के चेहरे पर खुशी के भाव उभर आए।
जयपुर में नहीं बनी बात तो पुणे बुलवाया
दानदाता राठौड़ ने रोटरी क्लब पुणे से सम्पर्क कर सोनिया का कृत्रिम एक हाथ लगवाने पर चर्चा की। इससे पहले सोनिया को उसके पिता के साथ जयपुर भी भेजा गया। लेकिन, वहां सोनिया के बायां कृत्रिम हाथ लगाने का प्रयास विफल रहा। सोनिया के बाएं हाथ की कोहनी नहीं होने पर कृत्रिम एल्बो वाला भाग जयपुर में नहीं लग सका। इसके बावजूद दानदाता राठौड़ का सतत प्रयास जारी रहा। गुरुवार को रोटरी क्लब पुणे से प्रदीप मुणोत, रिचर्ड, सब्बीर जमनागरवाला के निर्देशन में सोनिया का बायां हाथ कृत्रिम एल्बो के साथ गुरुवार को जोड़ा गया।