scriptदु:खी होकर कांग्रेस छोड़ी, वरना 40 साल का मोह कैसे छूटता-दीवान माधवसिंह | Sadly left the Congress, or else 40 years of extinguishment - Diwan | Patrika News

दु:खी होकर कांग्रेस छोड़ी, वरना 40 साल का मोह कैसे छूटता-दीवान माधवसिंह

locationपालीPublished: Nov 21, 2018 01:21:18 am

Submitted by:

Satydev Upadhyay

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दु:खी होकर कांग्रेस छोड़ी, वरना 40 साल का मोह कैसे छूटता-दीवान माधवसिंह

दु:खी होकर कांग्रेस छोड़ी, वरना 40 साल का मोह कैसे छूटता-दीवान माधवसिंह

राजेन्द्रसिंह देणोक
पाली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री दीवान माधवसिंह ने अचानक भाजपा का दामन थाम कर चौंका दिया। चौंकना इसलिए भी लाजमी है कि क्योंकि वे पिछले 40 साल से कांग्रेस में रहे।
कांग्रेस की तीन सरकारों में मंत्री और सोजत विधानसभा से पांच बार प्रतिनिधित्व किया। आश्चर्य की बात यह भी है कि टिकट बंटवारे के बाद उन्होंने पार्टी छोडऩे का निर्णय लिया। जबकि, वे पाली जिले की सुमेरपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस से दावेदारी कर रहे थे। चौंकाने वाले फैसले के बाद पत्रिका ने बातचीत की।
पार्टी छोडऩे का फैसला अब क्यों?
दु:खी होकर पार्टी छोड़ी है, वरना 40 साल जिस पार्टी में बिताए उसका मोह छोडऩा आसान नहीं। उम्मीद थी कि राहुल गांधी के प्रयास रंग लाएंगे, लेकिन एेसा कुछ नहीं हुआ। परसों ही पार्टी छोडऩे का निर्णय कर लिया था, लेकिन कोई ये नहीं समझे कि टिकट नहीं मिलने के कारण जा रहा हूं। इसलिए नामांकन की तिथि निकलने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
टिकट नहीं मिला, इसलिए पार्टी छोड़ी?
यह सही बात है कि मैं सुमेरपुर से टिकट मांग रहा था। सचिन पायलट ने घर आकर
पार्टी के लिए काम करने का आग्रह किया था। अशोक गहलोत भी मुझे चुनाव लड़ाने के पक्ष में थे। टिकट वितरण में एेसी बंदरबांट हुई कि बिना वजूद वाले लोग फ्रंट पर आ गए। पाली जिले को ही लें, पार्टी छहों सीटें जीत रही थी अब जीरो पर नजर आ रही।

भाजपा जॉइन कराने में किसकी भूमिका?
किसी ने मैडम से बात की थी। उनका (मुख्यमंत्री) फोन आया था कि आपका स्वागत है। आठ साल से कह रहें अब तो आ जाइए। मैडम के आग्रह पर मैंने भाजपा जॉइन की।

भाजपा से कोई आश्वासन?
किसी तरह का आश्वासन नहीं लिया। अब पद की कोई लालसा भी नहीं रही। पहले ही पांच बार एमएलए और मंत्री भी रहा। ईमानदारी से काम करना पसंद है। सम्मान और स्वाभिमान के लिए भाजपा में आया हूं।

आपके आने से भाजपा को फायदा होगा?
ये तो भाजपा ही जानें। मैं तो ईमानदारी से काम करना पसंद करता हूं। पार्टी का जो भी आदेश होगा, ईमानदारी से निर्वहन करूंगा।


आपकी नजर में प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य?
एेसा लग रहा था कि पार्टी पुन: सत्ता में आएगी, लेकिन जिस तरह से टिकट बांटे गए कांग्रेस सिमट जाएगी। स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों में मुख्यमंत्री बनने की ज्यादा चिंता थी न कि पार्टी को जिताने की। मंथन के नाम पर लोगों को एक-एक माह तक दिल्ली में पटके रखा। इससे कार्यकर्ता हतोत्साहित हुए हैं।
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