पार्टी छोडऩे का फैसला अब क्यों?
दु:खी होकर पार्टी छोड़ी है, वरना 40 साल जिस पार्टी में बिताए उसका मोह छोडऩा आसान नहीं। उम्मीद थी कि राहुल गांधी के प्रयास रंग लाएंगे, लेकिन एेसा कुछ नहीं हुआ। परसों ही पार्टी छोडऩे का निर्णय कर लिया था, लेकिन कोई ये नहीं समझे कि टिकट नहीं मिलने के कारण जा रहा हूं। इसलिए नामांकन की तिथि निकलने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
दु:खी होकर पार्टी छोड़ी है, वरना 40 साल जिस पार्टी में बिताए उसका मोह छोडऩा आसान नहीं। उम्मीद थी कि राहुल गांधी के प्रयास रंग लाएंगे, लेकिन एेसा कुछ नहीं हुआ। परसों ही पार्टी छोडऩे का निर्णय कर लिया था, लेकिन कोई ये नहीं समझे कि टिकट नहीं मिलने के कारण जा रहा हूं। इसलिए नामांकन की तिथि निकलने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
टिकट नहीं मिला, इसलिए पार्टी छोड़ी?
यह सही बात है कि मैं सुमेरपुर से टिकट मांग रहा था। सचिन पायलट ने घर आकर
पार्टी के लिए काम करने का आग्रह किया था। अशोक गहलोत भी मुझे चुनाव लड़ाने के पक्ष में थे। टिकट वितरण में एेसी बंदरबांट हुई कि बिना वजूद वाले लोग फ्रंट पर आ गए। पाली जिले को ही लें, पार्टी छहों सीटें जीत रही थी अब जीरो पर नजर आ रही।
यह सही बात है कि मैं सुमेरपुर से टिकट मांग रहा था। सचिन पायलट ने घर आकर
पार्टी के लिए काम करने का आग्रह किया था। अशोक गहलोत भी मुझे चुनाव लड़ाने के पक्ष में थे। टिकट वितरण में एेसी बंदरबांट हुई कि बिना वजूद वाले लोग फ्रंट पर आ गए। पाली जिले को ही लें, पार्टी छहों सीटें जीत रही थी अब जीरो पर नजर आ रही।
भाजपा जॉइन कराने में किसकी भूमिका?
किसी ने मैडम से बात की थी। उनका (मुख्यमंत्री) फोन आया था कि आपका स्वागत है। आठ साल से कह रहें अब तो आ जाइए। मैडम के आग्रह पर मैंने भाजपा जॉइन की।
भाजपा से कोई आश्वासन?
किसी तरह का आश्वासन नहीं लिया। अब पद की कोई लालसा भी नहीं रही। पहले ही पांच बार एमएलए और मंत्री भी रहा। ईमानदारी से काम करना पसंद है। सम्मान और स्वाभिमान के लिए भाजपा में आया हूं।
आपके आने से भाजपा को फायदा होगा?
ये तो भाजपा ही जानें। मैं तो ईमानदारी से काम करना पसंद करता हूं। पार्टी का जो भी आदेश होगा, ईमानदारी से निर्वहन करूंगा।
आपकी नजर में प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य?
एेसा लग रहा था कि पार्टी पुन: सत्ता में आएगी, लेकिन जिस तरह से टिकट बांटे गए कांग्रेस सिमट जाएगी। स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों में मुख्यमंत्री बनने की ज्यादा चिंता थी न कि पार्टी को जिताने की। मंथन के नाम पर लोगों को एक-एक माह तक दिल्ली में पटके रखा। इससे कार्यकर्ता हतोत्साहित हुए हैं।