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Rajasthan News: क्या आपका बच्चा भी खर्राटे लेता है! …तो सावधान रहें, ये संकेत अच्छे नहीं

तीन से चार वर्ष तक की आयु तक एडिनॉइड का आकार सामान्य रहता है, लेकिन उसके पश्चात लगातार होने वाली एलर्जी एवं जुकाम से इसका आकार बढ़ता जाता है।

पालीApr 20, 2024 / 04:27 pm

Rakesh Mishra

Rajasthan News: खर्राटे आना वैसे तो एक आम समस्या है। जो कि कई लोगों को होती है, लेकिन बच्चों में नहीं। बच्चा यदि खर्राटे लेता है तो इसे सामान्य नहीं माना जा सकता। वह एक बीमारी हो सकती है, जिसे एडिनॉइड कहते हैं। एडिनॉइड के कारण लंबे समय तक नाक बंद रहने, बच्चे के मुंह से सांस लेने के कारण उसके चेहरे में बदलाव आ जाता है। दांत टेढ़े-मेढ़े आते हैं। दांत उठे हुए लगते है। ऊपरी होंठ मुड़ा, तालु ऊंचा उठा व नाक पिचक सकते हैं। पाली के मेडिकल कॉलेज बांगड़ चिकित्सालय के कान, नाक व गला विभाग में प्रति माह एडिनॉइड एवं टॉन्सिल के लगभग 40 से 50 मरीज आते हैं, जिनका ऑपरेशन दूरबीन पद्धति से करना पड़ता है।

क्या होते हैं एडिनॉयड्स टिशु

एडिनॉइड एक प्रकार का लिंफाइड टिशु होता है। जो नाक के बिल्कुल अंदर पीछे के भाग में होता है। साधारण भाषा में कहे तो यह नाक एवं गले के जुड़ाव वाले भाग पर होता है। तीन से चार वर्ष तक की आयु तक एडिनॉइड का आकार सामान्य रहता है, लेकिन उसके पश्चात लगातार होने वाली एलर्जी एवं जुकाम से इसका आकार बढ़ता जाता है।

इस तरह के होते हैं लक्षण

यदि बच्चा रात में मुंह खोलकर सोता है, लगातार नाक में पानी बना रहता है, कान में दर्द रहता है, सुनने की क्षमता में थोड़ी कमी है तथा रात को सोते वक्त मुंह से लार गिरती है। ऐसा होने पर बच्चों के नाक के पीछे का एडिनॉइड टिशु बढ़ना शुरू हो सकता है। एडिनॉइड टिशु सभी बच्चों में होता है, लेकिन नाक में लगातार एलर्जी बने रहने व गलत खान-पान से यह बढ़ता है, जिससे नाक के पीछे का भाग बंद हो जाता है और बच्चों को सांस लेने में समस्या होती है।

एडिनॉइड बढ़ने से यह होता है खतरा

एडिनॉयड्स का आकार बढ़ने से कान एवं नाक को जोड़ने वाली नलिका का रास्ता बंद हो जाता है, जिससे कान में अचानक दर्द होता है। कान में संक्रमण होना, कान से पानी आना, सुनने की समस्या, कान के पर्दे का फट जाना आदि समस्या होती है। एडिनॉयड्स के बढ़ने से साइनस में संक्रमण से नाक में बदबू आती है। नाक से पानी आता है। एडिनॉइड का आकार बहुत अधिक बढ़ जाता है तो बच्चे को बार-बार नींद से उठना पड़ता है। जिसे ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप कहते हैं। ऐसा शरीर को कम ऑक्सीजन मिलने के कारण होता है। एडिनॉइड का ऑपरेशन बच्चों का ही होता है। जिससे उनके चेहरे, होंठ व नाक आदि में किसी तरह का बदलाव नहीं आए।
डॉ. गौरव कटारिया, विभागाध्यक्ष, नाक-कान व गला विभाग, मेडिकल कॉलेज व अस्पताल, पाली

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