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मनोरोगियों का तनाव बढ़ा रही ‘सरकार’, जानिए पूरी खबर

locationपालीPublished: Jun 15, 2019 03:42:09 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

-राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में खाली है कई पद-उपकरण चलाने के लिए भी नहीं है तकनीकी कार्मिक

post of psychiatry and technical staff is vacant In Pali's hospital

मनोरोगियों का तनाव बढ़ा रही ‘सरकार’, जानिए पूरी खबर

-राजेन्द्रसिंह देणोक

पाली। सरकार की बेफिक्री मनोरोगियों का तनाव बढ़ा रही है। अमूमन हर व्यक्ति की जिंदगी में तनाव का दखल खासा बढ़ गया है सरकार को इसकी रतिभर भी चिंता नहीं है। आंकड़े गवाह है कि अस्पतालों में मनोरोग से जुड़े रोगियों में दिनों-दिन इजाफा हो रहा है। इसके बावजूद अस्पतालों में स्वीकृत पद नहीं भरे जा रहे हैं। यही नहीं, कई अस्पतालों में मनारोग जांचने के उपकरण उपलब्ध हैए लेकिन उनको चलाने वाले कार्मिक नदारद है।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य मिशन के तहत पाली के बांगड़ अस्पताल में कुल नौ पद स्वीकृत है इसमें से छह खाली पड़े हैं। यहां क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट का पद खाली होने से मनोरोगियों की जांच नहीं हो पा रही है। अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मंदबुद्ध बच्चों को भी जोधपुर भेजना पड़ रहा है।
मनोविज्ञानिक नहीं, धूल फांक रहे उपकरण
बांगड़ अस्तपाल में मिर्गी रोगियों की जांच के लिए इइजी मशीन उपलब्ध है। जबकि मनोवैज्ञानिक का पद खाली पड़ा है। ऐसे में न तो मनोरोगियों की जांच नहीं हो पा रही और न ही मशीन का उपयोग। मंद बुद्धि बच्चों के लिए भी कई उपकरण उपलब्ध हैए लेकिन साइकोलॉजिस्ट का पद रिक्त होने से उपकरण धूल फांक रहे हैं। बांगड़ अस्पताल में औसतन हर माह सौ रोगी मिर्गी के पहुंच रहे हैं। इसी तरह, कई मंदबुद्धि बच्चों को भी उपचार के लिए लाया जा रहा है।
कुछ जरूरी तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी
-एक अनुमान के मुताबिक 6-7 प्रतिशत जनसंख्या मानसिक विकारों से ग्रसित है।
-विश्व बैंक की 1993 की रिपोर्ट के मुताबिक डायरिया, मलेरिया, कृमि संक्रमण और तपेदिक की तुलना में न्यूरोसाइकेट्रिक डिस्ऑर्डर के कारण जीवन को ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है।
-यह विकार बीमारी के वैश्विक बोझ का 12 प्रतिशत है तथा 2020 तक बढकऱ 15 प्रतिशत हो जाएगी।
-चार परिवारों में एक परिवार के सदस्य में मानसिक विकास की संभावना बनती है।
37 साल पहले शुरू हुआ मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम
-भारत सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 1982 में यह कार्यक्रम शुरू किया। शुरुआत में कुछ जिलों में काम शुरू हुआ। बाद में इसका दायरा बढ़ता गया। वर्तमान में पूरे देश में यह कार्यक्रम संचालित है।
पद भरने से मिलेगी राहत
रिक्त पद भरने से राहत मिलेगी। मनोरोग विशेषज्ञ व तकनीकी कार्मिक उपलब्ध हो जाए तो मनोरोगियों को जोधपुर नहीं जाना पड़ेगा। सरकार ने कई उपकरण तो उपलब्ध करा रखे हैं। -डॉ. दलजीतसिंह राणावत, मनारोग विशेषज्ञ, बांगड़ अस्पताल, पाली
जल्द शुरू करेंगे भर्ती प्रक्रिया
मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जितने भी पद खाली है उन्हें भरने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। जिलों में टेस्ट किट भी भेज रखे हैं। उनका उपयोग स्कूल-कॉलेजों में बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य जांचने में भी लिया जाएगा।
-प्रदीप शर्मा, स्टेट नोडल अधिकारी, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, जयपुर
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