हिन्दी की परीक्षा में सफलता के टिप्स
-धैर्य के साथ अपठित गद्यांश एवं पद्यांश को पढ़ें। उनका सरलार्थ समझें इसके बाद ही प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए।
-वर्तनी की अशुद्धियां आने की आशंका होने पर पयार्यवाची या समानार्थी शब्द का उपयोग करना चाहिए। अशुद्ध नहीं लिखना चाहिए।
-निबंध की रूपरेखा बनानी चाहिए। उसकी प्रस्तावना में संबंधित दोहे, श्लोक, गीत, गजल, मुहावरे, लोकोक्ति आदि लिखनी चाहिए। डायग्राम व आंकड़ों का उपयोग करना चाहिए।
-शीर्षक व बिन्दुओं को रेखांकित या हाइलाइट करना चाहिए। प्रत्येक उत्तर के बाद एक-दो पक्तियों का अंतर रखना चाहिए। उत्तर बिन्दुवार लिखने चाहिए।
-वाक्य छोटे एवं शुद्ध बनाने चाहिए।
-कार्यालय पत्र, अद्र्धशासकीय पत्र निर्धारित प्रारूप में लिखें।
-व्याकरण से संबंधित प्रकरणों की अच्छी तैयारी करनी चाहिए। यह अच्छे अंक दिलाने में मददगार होते हैं।
-यथा संभव खंडानुसार एवं क्रमानुसार प्रश्नों के उत्तर लिखें।
-कवि या लेखक परिचय में उनके जीवन परिचय कें साथ उनका साहित्यिक परिचय अवश्य लिखें। इनके लिए पाठ्य – पुस्तकों के कवियों एवं लेखकों का एक चार्ट बनाकर उनकी रचनाओं को याद करें।
-कक्षा दशम् में क्रिया, विशेषण, कारक, काल, समास ,वाक्य शुद्धीकरण, लोकोक्तियां आदि का उपयोग जरूर करना चाहिए।
-कक्षा -बारहवीं में भाषा, लिपि, व्याकरण की परिभाषाएं एवं प्रकार, पद परिचय, शब्द शक्ति, अलंकार एवं पारिभाषिक शब्द उपयोग में आते हैं।
-व्याख्या वाले प्रश्नों को चार बिन्दुओं क्रमश: संदर्भ, प्रसंग, व्याख्या व विशेष के रूप में लिखना चाहिए। विशेष में संबंधित काव्यांश की भाषा, शैली, छंद, अलंकार, काव्य गुण, रस आदि की जानकारी लिखनी चाहिए।
-कक्षा बाहरवीं में पूरक पुस्तक संवाद सेतु से 12 अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं। इनमें समाचार लेखन, फीचर, संपादकीय, संपादक के नाम पत्र, प्रतिक्रिया लेखन, साक्षात्कार, विविध क्षेत्रों में पत्रकारिता, वार्ता, यात्रा वृतांत, डायरी लेखन आदि को समझें एवं इनकी परिभाषाएं आदि को अच्छे से याद करें। इससे उत्तर कम समय में लिख सकेंगे और अंक अच्छे आएंगे।
-धैर्य के साथ अपठित गद्यांश एवं पद्यांश को पढ़ें। उनका सरलार्थ समझें इसके बाद ही प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए।
-वर्तनी की अशुद्धियां आने की आशंका होने पर पयार्यवाची या समानार्थी शब्द का उपयोग करना चाहिए। अशुद्ध नहीं लिखना चाहिए।
-निबंध की रूपरेखा बनानी चाहिए। उसकी प्रस्तावना में संबंधित दोहे, श्लोक, गीत, गजल, मुहावरे, लोकोक्ति आदि लिखनी चाहिए। डायग्राम व आंकड़ों का उपयोग करना चाहिए।
-शीर्षक व बिन्दुओं को रेखांकित या हाइलाइट करना चाहिए। प्रत्येक उत्तर के बाद एक-दो पक्तियों का अंतर रखना चाहिए। उत्तर बिन्दुवार लिखने चाहिए।
-वाक्य छोटे एवं शुद्ध बनाने चाहिए।
-कार्यालय पत्र, अद्र्धशासकीय पत्र निर्धारित प्रारूप में लिखें।
-व्याकरण से संबंधित प्रकरणों की अच्छी तैयारी करनी चाहिए। यह अच्छे अंक दिलाने में मददगार होते हैं।
-यथा संभव खंडानुसार एवं क्रमानुसार प्रश्नों के उत्तर लिखें।
-कवि या लेखक परिचय में उनके जीवन परिचय कें साथ उनका साहित्यिक परिचय अवश्य लिखें। इनके लिए पाठ्य – पुस्तकों के कवियों एवं लेखकों का एक चार्ट बनाकर उनकी रचनाओं को याद करें।
-कक्षा दशम् में क्रिया, विशेषण, कारक, काल, समास ,वाक्य शुद्धीकरण, लोकोक्तियां आदि का उपयोग जरूर करना चाहिए।
-कक्षा -बारहवीं में भाषा, लिपि, व्याकरण की परिभाषाएं एवं प्रकार, पद परिचय, शब्द शक्ति, अलंकार एवं पारिभाषिक शब्द उपयोग में आते हैं।
-व्याख्या वाले प्रश्नों को चार बिन्दुओं क्रमश: संदर्भ, प्रसंग, व्याख्या व विशेष के रूप में लिखना चाहिए। विशेष में संबंधित काव्यांश की भाषा, शैली, छंद, अलंकार, काव्य गुण, रस आदि की जानकारी लिखनी चाहिए।
-कक्षा बाहरवीं में पूरक पुस्तक संवाद सेतु से 12 अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं। इनमें समाचार लेखन, फीचर, संपादकीय, संपादक के नाम पत्र, प्रतिक्रिया लेखन, साक्षात्कार, विविध क्षेत्रों में पत्रकारिता, वार्ता, यात्रा वृतांत, डायरी लेखन आदि को समझें एवं इनकी परिभाषाएं आदि को अच्छे से याद करें। इससे उत्तर कम समय में लिख सकेंगे और अंक अच्छे आएंगे।