क्या हैं केवरनस हिमेनजियोमा
डॉ. प्रभुदयाल ने बताया कि केवरनस हिमेनजियोमा (नसों की गांठ) एक जन्मजात बीमार है। जो जो औसतन जन्म लेने वाले २०० बच्चों में से एक को होती है। उम्र बढऩे के साथ ही इस गांठ का आकार भी बढ़ता रहता है। १८-२० साल की उम्र होने पर मरीज को इस गांठ के कारण दर्द होने लगता है।
मरीज की बॉडी में अन्य नसों पर दबाव बढ़ता। जिससे मरीज को लकवा तक हो सकता है। गांठ पर चोट लगने पर मरीज के बॉडी से इतना खून बहता कि चंद मिनटों में उसकी मौत तक हो सकती है। इस नसों की गांठ में खून के अधिक होने से हाई आउटपुट हार्ट फेल होने का भी खतरा रहता है। साथ ही गांठ का आकार बढऩे के साथ ही मरीज की हड्डी भी क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि मरीज का निजी अस्तपाल में ऑपरेशन होता तो ५० हजार से अधिक का खर्चा आता।
डॉ. प्रभुदयाल ने बताया कि केवरनस हिमेनजियोमा (नसों की गांठ) एक जन्मजात बीमार है। जो जो औसतन जन्म लेने वाले २०० बच्चों में से एक को होती है। उम्र बढऩे के साथ ही इस गांठ का आकार भी बढ़ता रहता है। १८-२० साल की उम्र होने पर मरीज को इस गांठ के कारण दर्द होने लगता है।
मरीज की बॉडी में अन्य नसों पर दबाव बढ़ता। जिससे मरीज को लकवा तक हो सकता है। गांठ पर चोट लगने पर मरीज के बॉडी से इतना खून बहता कि चंद मिनटों में उसकी मौत तक हो सकती है। इस नसों की गांठ में खून के अधिक होने से हाई आउटपुट हार्ट फेल होने का भी खतरा रहता है। साथ ही गांठ का आकार बढऩे के साथ ही मरीज की हड्डी भी क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि मरीज का निजी अस्तपाल में ऑपरेशन होता तो ५० हजार से अधिक का खर्चा आता।