शहर में पिछले चार वर्षो से चल रहे सीवरेज कार्य से आम जन पीडि़त है ।बीती रात शहर में हो रही बूंदा-बांदी के चलते जोधपुर रोड पर बीच सडक़ पर एक बड़ा सा गहरा गडढा बन गया। गडढा भी एेसा कि कोई भी राहगीर या वाहन चालक उसमें गिरकर अपनी जान जोखिम में डाल दे। फिर भी निर्माणाधीन एजेन्सी के कुछ भी फर्क नहीं पड़ रहा है। हाउसिंग बोर्ड से मिल चाली तक एक किलोमीटर सडक़ पर पूरी सडक़ ही गडढों से पटी पड़ी है।
शहर में पिछले चार वर्षो से चल रहे सीवरेज कार्य से आम जन पीडि़त है ।बीती रात शहर में हो रही बूंदा-बांदी के चलते जोधपुर रोड पर बीच सडक़ पर एक बड़ा सा गहरा गडढा बन गया। गडढा भी एेसा कि कोई भी राहगीर या वाहन चालक उसमें गिरकर अपनी जान जोखिम में डाल दे। फिर भी निर्माणाधीन एजेन्सी के कुछ भी फर्क नहीं पड़ रहा है। हाउसिंग बोर्ड से मिल चाली तक एक किलोमीटर सडक़ पर पूरी सडक़ ही गडढों से पटी पड़ी है।
शहर में पिछले चार वर्षो से चल रहे सीवरेज कार्य से आम जन पीडि़त है ।बीती रात शहर में हो रही बूंदा-बांदी के चलते जोधपुर रोड पर बीच सडक़ पर एक बड़ा सा गहरा गडढा बन गया। गडढा भी एेसा कि कोई भी राहगीर या वाहन चालक उसमें गिरकर अपनी जान जोखिम में डाल दे। फिर भी निर्माणाधीन एजेन्सी के कुछ भी फर्क नहीं पड़ रहा है। हाउसिंग बोर्ड से मिल चाली तक एक किलोमीटर सडक़ पर पूरी सडक़ ही गडढों से पटी पड़ी है।
शहर में पिछले चार वर्षो से चल रहे सीवरेज कार्य से आम जन पीडि़त है ।बीती रात शहर में हो रही बूंदा-बांदी के चलते जोधपुर रोड पर बीच सडक़ पर एक बड़ा सा गहरा गडढा बन गया। गडढा भी एेसा कि कोई भी राहगीर या वाहन चालक उसमें गिरकर अपनी जान जोखिम में डाल दे। फिर भी निर्माणाधीन एजेन्सी के कुछ भी फर्क नहीं पड़ रहा है। हाउसिंग बोर्ड से मिल चाली तक एक किलोमीटर सडक़ पर पूरी सडक़ ही गडढों से पटी पड़ी है।
शहर में पिछले चार वर्षो से चल रहे सीवरेज कार्य से आम जन पीडि़त है ।बीती रात शहर में हो रही बूंदा-बांदी के चलते जोधपुर रोड पर बीच सडक़ पर एक बड़ा सा गहरा गडढा बन गया। गडढा भी एेसा कि कोई भी राहगीर या वाहन चालक उसमें गिरकर अपनी जान जोखिम में डाल दे। फिर भी निर्माणाधीन एजेन्सी के कुछ भी फर्क नहीं पड़ रहा है। हाउसिंग बोर्ड से मिल चाली तक एक किलोमीटर सडक़ पर पूरी सडक़ ही गडढों से पटी पड़ी है।