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मारवाड़-गोडवाड़ के समाज अब कुरीतियों को त्याग कर शिक्षा व नवाचार से जोड़ रहे नाता

locationपालीPublished: Jan 02, 2019 05:36:02 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

इस साल करेंगे और नवाचार, अन्य समाजों के लिए बनेंगे प्रेरणास्रोत -मारवाड़-गोडवाड़ के समाज अब कुरीतियों के दलदल से बाहर निकलने लगे हैं। मेवाड़ा, माली व अन्य समाज के साथ ही मुस्लिम समुदाय भी अब बदलाव की बयार पर सवार है। फिजूलखर्ची को कम करने की मंशा से जहां इन तीनों समाज में सामूहिक विवाह बढऩे लगे हैं, तो मृत्युभोज में मेवाड़ा समाज व जैतारण माली समाज ने मिठाई पर प्रतिबंध लगा दिया है। ताकि, गमजदा परिवार को और ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़े। इधर, लडक़े-लड़कियों के शिक्षा के लिए भी सभी समाज निशुल्क प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता जैसे अनुकरणीय प्रयास कर रहे हैं। कुछ ऐसे ही समाजों में हुए बदलाव पर पत्रिका की विशेष रिपोर्ट…

मुस्लिम समुदाय: शादी में अब नहीं बजते बैंडबाजे

पाली। शादी का माहौल हो और उसमें बैंड-बाजा, डीजे, संगीत न हो तो शादी फिकी-फिकी सी लगती है। लेकिन, मुस्लिम समुदाय ने शादी समारोह में शोरगुल को कम करने के उद्देश्य करीब आठ माह पूर्व शादी में बैंडबाजा, डीजे व नाच-गाने पर पाबंदी लगाई थी। साथ ही सामूहिक विवाह आयोजन पर जोर दिया। नतीजन वर्ष 2018 में ही जिले में चार सामूहिक विवाह हुए। जिसमें करीब 100 जोड़ों ने निकाह पढ़ा। मुस्लिम समाज के सदर ताराभाई ने बताया कि इसको लेकर 14 अप्रेल 2018 में बैठक की थी। जिसमें इस पर सर्वसहमति से निर्णय किया गया था। साथ ही निकाह में होने वाले खर्च को कम करने के लिए सामूहिक विवाह आयोजन पर जोर दिया गया।
अब बेटियां भी जाने लगी कॉलेज
मुस्लिम समुदाय की बेटियों के भी अब कॉलेज जाने का आंकड़ा बढ़ा है। घोसी समाज के सलीम घोसी ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बेटियों की शादी व पढ़ाई का खर्च भी समाज अपने स्तर पर वहन कर रहा है। जुआ और शराब सेवन पर लगाएंगे रोक मुस्लिम मुसाफिर खाना मजिस्द के पेश इमाम अब्दुल सत्तार कादरी ने बताया कि नववर्ष में समाज सुधार के प्रयास करेंगे। जुआ खेलने एवं शराब पीने पर पाबंदी लगाएंगे।
सामूहिक विवाह में 100 जोड़े बने हमसफर
वर्ष 2018 में कुरैशी समाज, रंगरेज समाज, तेली व घोसी समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन हुए। इसमें करीब 100 से अधिक जोड़ों का निकाह हुआ। तेली समाज ने सगाई का कार्यक्रम व भोज भी सामूहिक रखा। बढ़ रहे दुपहिया वाहन चालकों के हादसों को देखते हुए दूल्हों को हेलमेट उपहार में दिए।
मेवाड़ा समाज: सामूहिक विवाह को अपनाया, मृत्युभोज में की मिठाई बंद
पाली। जिले में एक समाज ऐसा भी है, जिनके युवा सामूहिक विवाह सम्मेलन में फेरे लेना खुद के लिए सम्माान की बात समझते है। साथ ही मृत्यु भोज में मिठाई की जगह सादा खाना खाना पसंद करते है। हम बात कर रहे हैं मेवाड़ा समाज की, जिसने करीब 25 वर्ष पूर्व सामूहिक विवाह सम्मेलन एवं करीब 15 वर्ष पूर्व मृत्युभोज में मिठाई बनाने पर पाबंदी लगाई थी। ताकि सामाजिक स्तर पर शादी समारोह व मृत्युभोज पर होने वाले अनावश्यक खर्च को कम किया जा सके।
सामूहिक विवाह की 1992 से शुरुआत
मेवाड़ा समाज के पूर्व अध्यक्ष अम्बालाल सोलंकी ने बताया कि सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित करने को लेकर पाली की ओर से प्रस्ताव रखा गया था। इस पर वर्ष 1992 में राज्य में समाज का पहला सामूहिक विवाह सम्मेलन जोधपुर में आयोजित हुआ था। इसमें 13 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। वर्ष 1992 से लेकर अभी तक 50 के करीब सामूहिक विवाह आयोजित किए जा चुके हैं, जिसमें करीब दो हजार युवाओं ने शादी की।
जरूरतमंद युवाओं को बढ़ाएंगे आगे
समाज के प्रबुद्धजनों का कहना है कि वर्ष 2019 में भी समाज सुधार को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले लेकर उन्हें अमलीजामा पहनाने का प्रयास करेंगे। समाज के प्रतिभावान युवा जो सरकारी नौकरी के काबिल है लेकिन परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते आगे की पढ़ाई व कोचिंग करने में उनको दिक्कत का सामना करना पड़ता हो। ऐसे युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए समाज काम शुरू करेगा।
मृत्यु भोज पर नहीं बनाते मिठाई
समाज सुधार की ओर एक कदम ओर बढ़ाते हुए मेवाड़ा समाज की ओर से आज से करीब 15 वर्ष पूर्व मृत्यु भोज में मिठाई बिनाने की पर परा पर विराम लगाने का काम किया। उनका मानना था कि घर के एक सदस्य के बिछुडऩे का गम मनाए या मिठाई बांटे। इसके चलते जिले में अधिकतर क्षेत्र में आज भी मेवाड़ा समाज के लोग मृत्युभोज में मिठाई नहीं बनाते। सोजत, जैतारण क्षेत्र में मृत्युभोज में एक मिठाई बनाई जाती है।
माली समाज : मृत्युभोज में सब्जी-पूड़ी व दाल-बाटी
-मृत्यु के 12 दिन तक मिठाई पर पाबंदी

पाली। सामाजिक कुरीतियां को पीछे छोड़ते हुए जैतारण माली समाज ने मिसाल पेश की है। समाज के पंचों, कार्यकारिणी ने जैतारण क्षेत्र में समाज के किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके 12 दिनों के कार्यक्रम तक मिठाई पर पाबंदी लगा दी है। ताकि पीडि़त परिवार को आर्थिक नुकसान न हो। साथ किसी तरह का नशा नहीं करने का संकल्प लिया गया है। जैतारण माली समाज अध्यक्ष तुलछाराम गहलोत व सचिव अविनाश गहलोत ने बताया कि जैतारण माली समाज की ओर से सर्वसम्मति से यह निर्णय किया गया है कि समाज के किसी भी व्यक्ति की मृत्यु से बारहवें तक किसी प्रकार की मिठाई नहीं बनाई जाएगी। 12वें के दिन क्रियाक्रम को देखते हुए सिर्फ सब्जी-पुड़ी व दाल-बाटी का ही भोज होगा। साथ ही नशा सामग्री भी नहीं होगी।
समाज सुधार की ओर बढ़ा रहे कदम
अध्यक्ष व सचिव ने बताया कि सामाजिक कुरीतियां मिटाने के लिए समाज लगातार निर्णय कर रहा है। इन निर्णयों की सराहना भी की जा रही है। समाज में अब सामूहिक विवाह का चलन भी बढ़ रहा है, ताकि अपव्यय न हो। सामूहिक विवाह का चलन भी बढ़ा सामूहिक विवाह में समाज के लोग बढ़-चढकऱ हिस्सा ले रहे हैं। इससे काफी लोग जुडकऱ इसे अच्छा प्रयास बता रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं को आगे बढ़ाने जैतारण में समाज भवन में विद्यार्थियों के लिए कोचिंग की स्पेशल व्यवस्था की गई है। इसमें समाज बंधु शिक्षक युवाओं को कोचिंग कराते हैं।

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