एक समय पर गवरी देवी की सुरों की महफिल के सीएम गहलोत भी हुए थे मुरीद,आज हालात ऐसे….
बरसों पहले जब जैसलमेर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कहने पर मोर बोले रै मलजी… मांड गाई तो मुख्यमंत्री समेत सभी अतिथि सुरों की महफिल में डूब-से गए। भगवान इन्द्र भी खुशी प्रकट करने से खुद को रोक नहीं पाए। जमकर बारिश हुई थी। वो दौर ही कुछ और था, जब खूब नाम कमाया।
विनोद सिंह चौहान बरसों पहले जब जैसलमेर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कहने पर मोर बोले रै मलजी… मांड गाई तो मुख्यमंत्री समेत सभी अतिथि सुरों की महफिल में डूब-से गए। भगवान इन्द्र भी खुशी प्रकट करने से खुद को रोक नहीं पाए। जमकर बारिश हुई थी। वो दौर ही कुछ और था, जब खूब नाम कमाया। लेकिन यह पता नहीं था कि नाम से कुछ नहीं होता। आज पाई-पाई के मोहताज है। मैं नहीं रहूंगी तब भी राजस्थान में मांड गायकी का मान-सम्मान बना रहना चाहिए। इसीलिए पोती गंगा को मांड सिखा रही हूं। यह कहना है राजस्थान की एक मात्र जीवित मांड गायिका गवरी देवी का। 85 वर्षीय गवरी देवी का अतीत जितना सुनहरा था, वर्तमान उतना ही अभावों से भरा हुआ।
25 लोगों का परिवार पेट भरना मुश्किल गवरी के पति बताते हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसलमेर प्रवास के दौरान गवरी के मांड गीतों के मुरीद हो गए थे। उस दौरान जमकर प्रशंसा हुई। उसके बाद बड़े शादी-समारोह और कायर्क्रमों में गवरी की मांड गायकी सुनने वालों की भीड़ जमा रहती थी। लेकिन आज कोई सहायता करने वाला नहीं है। पांच लड़के हैं और 25 लोगों का परिवार। हालात यह हो जाते हैं कि पेट भरना भी मुश्किल होता है। सरकार को चाहिए कि राजस्थान को गायकी में पहचान दिलाने वाली गवरी जैसे सभी कलाकारों को बुढापे में आर्थिक सहयोग करें।
मांड के मान को बचाना जरूरी गवरी देवी की आवाज आज भी इतनी सुरीली है कि मन करता हैं सुनते ही जाएं। हजारों गानें कंठस्थ है। गवरी का कहना है किसी भी समय भगवान का बुलावा आ सकता है। राजस्थान में मांड गायकी का मान-सम्मान बना रहना भी जरूरी है। इस लिहाज से पोती गंगा को मांड गायकी का रियाज करवा रही हूं ताकि परिवार का नाम आगे बढ़ता रहे। मैं तो बस इतना चाहती हूं कि गंगा देश-विदेश में मांड गायकी में नाम कमाए और सरकार भी भरपूर सहयोग दे।