मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.पी. मिर्धा ने बताया कि खसरा वायरस जनित जानलेवा रोग है। इसमें बुखार, खांसी, जुकाम, आंखें लाल होना आदि लक्षण दिखते हैं। बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता और अनहोनी का खतरा रहता है। खसरे के चकते बुखार आने के दो दिन बाद दिखते हैं। इसमें डायरिया, निमोनिया, मस्तिष्क की सूजन जैसी जटिलताएं भी हो सकती हैं। कुपोषित बच्चों को भी यह टीका लगाना है। किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी, तेज बुखार और गर्भावस्था में यह टीका नहीं लगाया जाता है।
जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.एस. राठौड़ ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में रूबेला रोग होने से जन्मजात रूबेला सिन्ड्रोम हो सकता है। जो गर्भ में पल रहे नवजात शिशुु के लिए गंभीर हो सकता है। रुबेला से गर्भवती माताओं के अबोर्शन, नवजात की मौत, नवजात को जन्मजात बीमारी का खतरा रहता है। डब्ल्यूएचओ की प्रतिनिधि डॉ. कीर्ति पटेल ने बताया कि यह टीका सुरक्षित है। भारत में 32 राज्यों के 30 करोड बच्चों को टीका लगाया जा चुका है। एएनएम टीसी के प्रिंसिपल के.सी. सैनी ने बताया कि नौ माह से 15 वर्ष तक के सभी बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं।