मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव उदयपुर ने राजसमंद डीएफओ को बाघ संरक्षित क्षेत्र के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। इसमें बाघ संरक्षित क्षेत्र के लिए लोकेशन, संरक्षित किए जाने वाले क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, क्षेत्र का नक्शा, अनुमानित व्यय राशि, संरक्षण क्षेत्र के लिए प्रस्तावित क्षेत्र तथा क्षेत्रफल की जानकारी मांगी है। वन विभाग इस पर कार्य करने में जुटा हुआ है। विभाग से यह प्रस्ताव तैयार होते ही सरकार को भिजवाया जाएगा।
कुम्भलगढ़ व रावली टाडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में 12 से अधिक प्रजाति के मांसाहारी तथा 20 से अधिक शाकाहारी प्रजाति के वन्यजीवों की बहुलता है। इनमें पैन्थर, भालू, सियार, जरख, लोमड़ी, भेडिय़ा, बिल्ली, बिज्जु, नेवला साधारण, नेवला काली पूछ, भारतीय लोमड़ी आदि है। इसके साथ ही शाकाहारी प्रजाति में सेही, साम्भर, चौसिंगा, चिन्कारा, नीलगाय, जंगली सूअर, लंगूर, खरगोश आदि की बहुलता है।
कुम्भलगढ़ अभयारण्य के मेवाड़, मारवाड़ व गोडवाड़ क्षेत्र में बाघ पुनर्वास संरक्षित क्षेत्र निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। यदि सरकार की हरी झंडी मिल जाती है तो कुम्भलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का मार्ग प्रशस्त होगा। इससे क्षेत्र में पर्यटन व्यवसाय व रोजगार के स्त्रोत विकसित होंगे। -यादवेन्द्रसिंह चूण्डावत, सहायक वन संरक्षक, कुम्भलगढ़ अभयारण्य, सादड़ी
मारवाड़-मेवाड़ की सीमा में प्रस्तावित कुम्भलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में बाघ संरक्षित क्षेत्र बनाने को लेकर प्रस्ताव तैयार करने के आदेश मिले हैं। सात बिन्दुओं को शामिल कर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। -फतेहसिंह राठौड़, डीएफओ, राजसमंद