जिसके कारण बांधों में भी कुछ ही घंटो में पानी की आवक अनुमान से अधिक हो जाती है। नदियों में पानी बहने से सबसे अधिक फायदा किसानों को होता है। किसानों के कुएं रिचार्ज होते है। मगर इस बार नदियों के सूख जाने के कारण कुओं का तल दिखना शुरू हो गया है। वन्यजीव नदियों के जलक्रीडा करते इसका आनंद उठाते हैं।
अभयारण्य के बीच से गुजरती नदियां गांवों के पास से गुजरती हैं। नदियों में पानी की आवक होती है तो बड़ी संख्या में गांव के लोग पानी को देखने के लिए नदियों पर पहुंच जाते हैं। जब उफान पर चलती है तो उसको शांत करने के लिए ग्रामीण नदियों की पूजा अर्चना करते हैं। मगर गत वर्ष अरावली में कम बरसात होने के कारण नदियों में पानी की आवक कम हुई। इससे लगभग सभी बांध सूख गए हैं।
इस बार भी जुलाई माह आधा गुजर गया है, लेकिन अभी तक अरावली पर्वत माला में तेज बरसात नहीं हुई है। जिससे नदियों में पानी की आवक हो सके। आज भी अभयारण्य में अधिकतर नदियां सूखी पड़ी हैं।