सोजत सिटी के लिए चार कुएं घेनधड़ी गांव में खोदे गए है। इन कुओं से रोजाना 8 लाख लीटर पानी निकालना शुरू कर उसे जवाई के पानी में मिलाया जा रहा है। यहीं पानी शहर में आपूर्ति किया जा रहा है। दूसरी तरफ शिवपुरा क्षेत्र के 54 गांव ऐसे है जहां कोई स्थानीय जलस्रोत नहीं है। वहां अब टैंकरों से पानी भेजने की तैयारी की जा रही है।
जैतारण शहर के लिए पांच नलकूप बांझाकुड़ी में और तीन शहर में ही खोदे गए है। इन कुओं से दस लाख लीटर पानी रोजाना निकाला जा रहा है। जिसे जवाई के पानी में मिलाकर गांवों में आपूर्ति करना शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य गांवों में स्थानीय स्रोत ही प्यास बुझाएंगे।
जिले में रायपुर ऐसा क्षेत्र है जहां पानी की अधिक परेशानी नहीं आने वाली है। इसका कारण यह है कि रायपुर लुनी बांध के नीचे की तरफ कुएं बने हुए है। इन कुओं में अभी तक करीब चार-पांच माह का पानी है।
गोडवाड़ क्षेत्र में 328 गांव है। जो बाली, फालना, सादड़ी, रानी व सुमेरपुर में है। यहां के गांवों व शहरों में जलापूर्ति के लिए 24 नए ट्यूबवेल खोदे गए है। उनसे 10 लाख लीटर पानी निकाला जा रहा है। इसके अलावा 15 ओपलवेल को तैयार किया गया है। जो पहले उपयोग में आते रहे है। इसके साथ ही 1 नए कुएं भी खोदे गए है।
पाली शहर व आस-पास के गांवों के लिए 10 नए ट्यूबवेल बनाए गए है। इसके अलावा 6 अन्य ट्यूबवेल भी तैयार किए गए है। इन प्रत्येक ट्यूबवेल से 50 हजार लीटर पानी की आपूर्ति की जा सकेगी। रोहट क्षेत्र में भूजल पीने योग्य नहीं होने के कारण वहां टैंकरों से ही जलापूर्ति की जाएगी।
मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र में जवाई का पानी जाते अधिक समय नहीं हुआ है। इस कारण वहां के 173 जलस्रोत अभी उपयोग में लिए जा रहे है। वहां खारा व मीठा पानी मिलाकर आपूर्ति की जानी है। क्षेत्र के 41 गांव ऐसे भी है जहां के ग्रामीण सिर्फ हैण्डपम्प व कुओं पर ही निर्भर रहेंगे।
गांवों में स्थानीय जलस्रोतों से पानी की आपूर्ति शुरू करवा दी है। शहरों में स्थानीय व जवाई के पानी को मिलाकर जलापूर्ति करवाई जा रही है। जलापूर्ति में परेशानी नहीं आए। इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। -दिनेश पुरोहित, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग, पाली