लाखोटिया तालाब को पाटकर बनाई अवैध कच्ची सडक़ को तोडऩे का तत्कालीन कलक्टर (Collector) कुमारपाल गौतम के समय आदेश हुआ। इसके बाद एक फिर इसे तोडऩे का आदेश दिया गया, लेकिन नगर परिषद की हठधर्मिता इतनी बढ़ी हुई है कि वह इसे तोड़ ही नहीं रही। इतना जरूर है कि परिषद ने दो बार इस पाळ के बीच में गड्ढा खोदा। एक तो अभी खुदा हुआ है। जिसे चार दिन पहले ही खोदा गाय है।
इस अवैध पाळ को लेकर राजस्थान पत्रिका ने सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित किए। इस पर 29 दिसम्बर 2016 को एडवोकेट चंद्रभानु राजपुरोहित ने सतर्कता समिति में लाखोटिया तालाब पाटकर बनाए तीसरे हिस्से में बनाई अवैध कच्ची सडक़ का मामला रखा था। सतर्कता समिति में 12 सितम्बर 2018 को नगर परिषद आयुक्त को इसे तोडऩे के आदेश दिए, लेकिन परिषद ने सडक़ को तोडऩे के बजाय इस पर अधिक मिट्टी डलवाकर इसे चौड़ा कर दिया।
लाखोटिया तालाब के निकट पाली चक प्रथम में खसरा संख्या 713/1739 की रकबा चार बीघा दस बिस्वा क्षेत्र को आवासीय प्रयोजनार्थ उपयोग करने एवं इसको लेकर सात दिन में आपत्तियां मांगी गई है। इस भूमि तक आने के अन्य रास्ते बहुत संकरे होंगे। इस कारण तालाब को पाटकर अवैध सडक़ बनाकर इसे लाभ पहुंचाने का मनसूबा साफ झलकता है।
विधानसभा की आचार संहिता के समय सडक़ को तोडऩे का प्रयास किया था। उस समय जन विरोध हुआ था। इस कारण उसे तोड़ नहीं सके। इसके बाद किसी ने उस पर मिट्टी भर दिया। इस सडक़ से कुछ व्यापारियों को लाभ होने की शिकायत हुई थी। इस कारण इसे बीच से खोद दिया है। इससे इसकी प्रासंगिता खत्म हो गई है। अब कलक्टर के आदेशानुसार इस पर कार्रवाई की जाएगी।