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जाने एक ऐसे शहर के बारे में जहां हाइकोर्ट व कलक्टर के नहीं चलते आदेश

locationपालीPublished: Aug 04, 2019 07:07:11 pm

Submitted by:

Rajeev

ALI lakhotya POND NEWS : लाखोटिया तालाब में कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने को बना दी अवैध कच्ची सडक़
शहर के 800 साल पुरानी धरोहर को मिटाने पर तुली है नगर परिषद
अब यूआइटी ने जारी की तालाब के निकट आवासीय योजना की लोक सूचना
लाखोटिया में अवैध सडक़ बनाने को लेकर उठ रहे हैं सवाल

pali pond

जाने एक ऐसे शहर के बारे में जहां हाइकोर्ट व कलक्टर के नहीं चलते आदेश

PALI LAKHOTYA pond NEWS : पाली. बाहुबलियों के सामने प्रशासन और जनप्रतिनिधि भी काम नहीं कर पा रहे हैं। पाली नगर परिषद (nagar parishad) एक-दो जनों को लाभ पहुंचाने के लिए शहर की 800 साल पुरानी धरोहर का अस्तित्व मिटाने की तैयारी में है। यह खेल पिछले पांच-छह साल से चल रहा है। मामला उजागर नहीं होता तो परिषद तो इस धरोहर को मिटा भी चुकी होती। अब इस धरोहर को क्यों पाटा जा रहा है। इसका असली मनसूबा भी सामने आ गया है। इस अवैध सडक़ (road) से जुडऩे वाली एक आवासीय योजना काटने की जनसूचना यूआइटी की ओर से जारी की गई है। इसे ऐसे समाचार पत्र में प्रकाशित किया गया है, जिसे कम लोग ही पढ़ सके। इससे किसी को पता नहीं चले और बाहुबली को आसानी से वहां आवासीय योजना काटने का मौका मिल जाए और इसके लिए लाखोटिया के किन्नर घाट से बनाई अवैध कच्ची सडक़ को स्थाई सडक़ का रूप दे दिया जाए।
कलक्टर दे चुके हैं आदेश
लाखोटिया तालाब को पाटकर बनाई अवैध कच्ची सडक़ को तोडऩे का तत्कालीन कलक्टर (Collector) कुमारपाल गौतम के समय आदेश हुआ। इसके बाद एक फिर इसे तोडऩे का आदेश दिया गया, लेकिन नगर परिषद की हठधर्मिता इतनी बढ़ी हुई है कि वह इसे तोड़ ही नहीं रही। इतना जरूर है कि परिषद ने दो बार इस पाळ के बीच में गड्ढा खोदा। एक तो अभी खुदा हुआ है। जिसे चार दिन पहले ही खोदा गाय है।
शिकायत और जनसुनवाई की बात भी बेअसर
इस अवैध पाळ को लेकर राजस्थान पत्रिका ने सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित किए। इस पर 29 दिसम्बर 2016 को एडवोकेट चंद्रभानु राजपुरोहित ने सतर्कता समिति में लाखोटिया तालाब पाटकर बनाए तीसरे हिस्से में बनाई अवैध कच्ची सडक़ का मामला रखा था। सतर्कता समिति में 12 सितम्बर 2018 को नगर परिषद आयुक्त को इसे तोडऩे के आदेश दिए, लेकिन परिषद ने सडक़ को तोडऩे के बजाय इस पर अधिक मिट्टी डलवाकर इसे चौड़ा कर दिया।
यहां कॉलोनी काटने की योजना
लाखोटिया तालाब के निकट पाली चक प्रथम में खसरा संख्या 713/1739 की रकबा चार बीघा दस बिस्वा क्षेत्र को आवासीय प्रयोजनार्थ उपयोग करने एवं इसको लेकर सात दिन में आपत्तियां मांगी गई है। इस भूमि तक आने के अन्य रास्ते बहुत संकरे होंगे। इस कारण तालाब को पाटकर अवैध सडक़ बनाकर इसे लाभ पहुंचाने का मनसूबा साफ झलकता है।
अपने ही पार्षदों को किया था आगे

जब पहली बार सडक़ तोडऩे के कलक्टर ने आदेश दिए थे तो नगर परिषद ने औपचारिकता निभाने के लिए एक जेसीबी को पाळ तोडऩे भेजा। इसके चंद मिनट बाद दो टैंकर संचालक दुपहिया वाहन लेकर पहुंचे तो जेसीबी चालक तुरन्त वहां से रवाना हो गया। दूसरे दिन भाजपा के बोर्ड ने अपने पार्षदों को भैरूघाट पर भेजा और टैंकर चालकों के साथ रास्ता रोक दिया। जिससे पाळ तोडऩे में जनता का विरोध बताया जा सके।
यों बहाने बनाती गई और मिटाती गई धरोहर

लाखोटिया तालाब करीब आठ सौ वर्ष पहले चंदनपुरी नाम के संत ने खुदवाया था। इसके चारों तरफ पुष्कर तर्ज पर मंदिर है। जो आज भी विद्यमान है। परिषद ने पहने भैरूघाट से रास्ता बनाकर इसके दो भाग किए। इसके बाद सिरे घाट का पानी पीने के उपयोग में लेने का बहाना बनाकर घाट से कुछ दूरी पर दीवार बना दी। इसके बाद इसके पीछे मिट्टी का धोरा लगा दिया। इसके बाद किन्नर घाट पर मिट्टी डालकर पाटा और अवैध सडक़ बना दी। आज हालात यह है कि महज सिटी टैंक नाम देकर बनाए तालाब (p0nd) के हिस्से का पानी पीने का काम आ रहा है। सिरे घाट तक को भी उपेक्षित कर दिया है।
प्रासंगिता खत्म हो गई
विधानसभा की आचार संहिता के समय सडक़ को तोडऩे का प्रयास किया था। उस समय जन विरोध हुआ था। इस कारण उसे तोड़ नहीं सके। इसके बाद किसी ने उस पर मिट्टी भर दिया। इस सडक़ से कुछ व्यापारियों को लाभ होने की शिकायत हुई थी। इस कारण इसे बीच से खोद दिया है। इससे इसकी प्रासंगिता खत्म हो गई है। अब कलक्टर के आदेशानुसार इस पर कार्रवाई की जाएगी।
आशुतोष आचार्य, आयुक्त नगर परिषद, पाली

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