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पाकिस्‍तान चुनाव : किसकी जीत भारत के लिए मुफीद?

locationनई दिल्लीPublished: Jul 23, 2018 02:59:17 pm

Submitted by:

Dhirendra

गौर करने वाली बात ये है कि इन तीनों दलों में से किसी ने भी अपने घोषणापत्र में कश्मीर को प्रमुखता के साथ शामिल नहीं किया है।

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किसकी जीत भारत के लिए मुफीद?

नई दिल्‍ली। कुछ देर बाद पाकिस्‍तान में चुनाव प्रचार समाप्‍त हो जाएगा। 25 जुलाई को वोट डाले जाएंगे। चुनाव परिणाम अगस्‍त के पहले सप्‍ताह में आने की उम्‍मीद है। लेकिन वहां के चुनाव परिणाम को लेकर भारत में भी चर्चा कम नहीं है। ऐसा इसलिए कि पिछले चार सालों में भारत-पाकिस्‍तान सरकार के संबंध अच्‍छे नहीं रहे हैं। इसलिए सबकी नजरें इस बात पर टिकी है कि वहां के लोग किस पार्टी के नेता को पीएम बनाने का निर्णय लेते हैं। राजनीतिक विश्‍लेषकों का कहना है कि अगर पीएमएल-एन और पीपीपी में किसी एक पार्टी को बहुमत मिलता है तो यह भारत के लिए ज्‍यादा मुफीद हो सकता है।
पीएमएल-एन की आई सरकार तो बनेगी बात
भारत के लिए यह चुनाव कम महत्वपूर्ण नहीं हैं, क्योंकि 2019 में यहां भी चुनाव होने हैं। भारत की करीबी नजर इसलिए भी है कि द्विपक्षीय रिश्ते अधिकतर सरकार की नीतियों पर चलते हैं। इस लिहाज से देखें तो पीएमएल-एन की जीत भारत के लिए सबसे मुफीद है। चुनाव परिणाम नवाज शरीफ की पीएमएल-एन के पक्ष में आए तो भारत को अपनी विदेश नीति में को खास बदलाव नहीं करना पड़ेगा। पाकिस्तान में जो भी राजनैतिक दल हैं उन सभी की तुलना में नवाज की पार्टी का रूख भारत के प्रति सबसे ज्‍यादा नरम रहा है। पीएम मोदी के साथ भी नवाज के रिश्ते नरम रहे हैं। हालांकि समय-समय पर वो कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत के प्रति कड़ा रूख अपनाने की बात भी कहते हैं।
पीटीआई से बढ़ेगी मोदी की चुनौतियां
इसके उलट इमरान खान की पार्टी सत्ता में आती है तो भारत के लिए द्विपक्षीय संबंधों में सुधार लाना चुनौतीपूर्ण होगा। ऐसा इसलिए कि इमरान खान का पाकिस्तानी सेना और नौकरशाहों के साथ नजदीकी रिश्ता है। ऐसे में उनकी जीत भारत के लिए कहीं भी मुफीद नहीं होगी। वेस्‍ट के स्‍कॉलर का झुकाव भी इमरान की तरफ है। इमरान खान के चुनावी भाषणों में कट्टरता दिखाई दे रही है। इमरान ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पाकिस्तान को इस्लामिक कल्याणकारी राज्य बनाने की घोषणा की है जो वहां के कट्टरपंथी समूहों को खुश करने की एक कोशिश है। भारत से संबंधों की शुरुआत को लेकर उनका रवैया गर्मजोशी वाला नहीं है। न ही पार्टी के घोषणा पत्र में भारत-पाक संबंधों का जिक्र किया है।
बुरी नहीं बेनजीर की ट्रिपल-पी
नवाज की तरह पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो की पीपीपी की जीत को भारत के लिए अनुकूल माना जा सकता है। ऐसा इसलिए कि पूर्व पीएम भुट्टो की पार्टी ने अपने घोषणापत्र में भारत के साथ मजबूत संबंध रखने और बातचीत के जरिए आपसी विवादों को सुलझाने की घोषणा की है। भुट्टो ने पीएम रहते हुए संबंधों को सुधार के लिए कई कदम भी उठाए थे। इंदिरा के साथ जुल्फिकार भुट्टो का संबंध अच्‍छा रहा था। चूंकि बिलावल ने भी उच्‍च शिक्षा लंदन से हासिल की है, इसलिए माना जा रहा है कि वो लोकतांत्रिक राष्‍ट्र के साथ संबंधों में सुधार पर जोर देंगे। ओपिनियन पोल के जो नतीजे पड़ोसी मुल्क से आ रहे हैं उससे कहीं भी ये नहीं लगता कि पीपीपी इस चुनाव में सरकार बनाएगी।
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