फांसी पर रोक लगाने की अपील
हालांकि कुछ संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है। शनिवार को जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान (JPP) ने इस संबंध एक बयान जारी कर बताया कि उन्होंने सरकार से 36 वर्षीय गुलाम अब्बास की फांसी पर रोक लगाने की अपील की है। इसके साथ ही मामले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। बता दें कि अब्बास पर 2004 में एक पड़ोसी को चाकू मारने के आरोप लगे थे। इसके बाद जिला एवं सत्र अदालत ने 31 मई 2006 को उसे मौत की सजा सुनाई थी।
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जेल में बिता चुका है 13 साल से ज्यादा समय
अब्बास अब तक 13 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है। इससे पहले अब्बास के लिए एक नई दया याचिका दायर की गई थी जिसमें राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ( arif alvi ) से उसकी फांसी की सजा पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। जेपीपी ने शनिवार को अपने बयान में कहा, ‘अब्बास की फांसी पर जरूर रोक लगाई जानी चाहिए और व्यापक जांच के लिए उसे मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाना चाहिए।’
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दोषी के मेडिकल टेस्ट में चौंकाने वाला खुलासा
दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किए गए मनोचिकित्सक मलिक हुसैन मुब्बशर ने एक चौंकाने वाली जानकारी साझा की है। उन्होंने कहा कि, ‘मेडिकल परीक्षण के रिकॉर्ड से पता चला है कि जेल प्रशासन ने इलाज के लिए अब्बास को तेज एंटी-साइकोटिक दवाईयां दी हैं।’ मुब्बशर ने आगे बताया कि अब्बास की मानसिक बीमारी अनुवांशिक (Genetic) है। उसके पारिवार में भी मानसिक बीमारी का इतिहास रहा है।
मुब्बशर ने भी यही सलाह दी है कि अब्बास को किसी अच्छे मानसिक स्वास्थ केंद्र की मदद मुहैया कराई जानी चाहिए।
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