एमक्यूएम-पी के समन्वयक ने की समर्थन की पुष्टि
मीडिया रिपोर्टों में इस संबंध में जानकारी छपी है। यही नहीं खुद एमक्यूएम-पी के समन्वयक खालिद मकबूल सिद्दीकी ने बुधवार को एक मीडिया हाउस के सामने इसकी पुष्टि की। वहां एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, ‘हां, हम केंद्र में गठबंधन सरकार बनाने के लिए उनके (पीटीआई के) साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।’
इस कारण लिया फैसला
सिद्दीकी ने आगे कहा कि पिछले अनुभवों को देखते हुए पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) का साथ नहीं देगी। पीपीपी सिंध में किसी को नहीं चाहती है। एमक्यूएम-पी संसद में सत्तारूढ़ पक्ष में पीटीआई के साथ बैठेगी। उन्होंने कहा, ‘हमने विपक्ष के साथ बैठने के स्थान पर सत्ता पक्ष के साथ बैठने का फैसला किया है। विपक्ष के साथ बैठने से हमारे पक्ष के बारे में संदेह पैदा होगा और इसलिए एमक्यूएम-पी इस कदम पर आम सहमति से पहुंची है।’
जनादेश का सम्मान
एमक्यूएम समन्वयक का कहना है, ‘हम सभी के जनादेश का सम्मान करते हैं और चाहते हैं कि सभी हमें मिले जनादेश का सम्मान करें।’ उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी गुरुवार को सर्वदलीय बैठक में हिस्सा नहीं लेगी। यह बैठक पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज ने 25 जुलाई को आम चुनाव में हुए कथित धांधली पर चर्चा करने के लिए बुलाई है।
इस विषय पर अभी भी संशय
एकक्यूएम-पी एमएनए और समन्वयक समिति के सदस्य अमीनुल हक ने कहा कि एकक्यूएम ने हालांकि प्रधानमंत्री के पद के लिए खान का समर्थन करने का निर्णय लिया है लेकिन उन्हें अभी भी यह निर्णय लेना है कि क्या वे सरकार में शामिल होकर कोई मंत्रालय संभालेंगे। इस संबंध में अंतिम निर्णय कुछ ही दिनों में लिया जाएगा।
बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) से भी समर्थन
आपको बता दें कि गुरुवार को पीटीआई ने बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) से भी समर्थन मांगा था। इस बीच, नईमुल हक और सरदार यार मुहम्मद रिंद की अगुवाई में पीटीआई प्रतिनिधिमंडल बीएनपी-एम के प्रमुख सरदार अख्तर जन मेंगल से समर्थन के लिए इस्लामाबाद में मिला। बैठक के बाद मेंगल ने कहा, ‘मैं संघीय सरकार में शामिल होने के लिए निमंत्रण देने पर पीटीआई नेतृत्व का शुक्रगुजार हूं।’अपनी मांगों को रखते हुए मेंगल ने कहा कि उनकी मांग लापता लोगों की तलाश और चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लागू करना है। उन्होंने कहा, ‘अगर हमें हमारी मांगों का संतोषजनक जवाब मिला तो हम पार्टी (पीटीआई) का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।’ गौरतलब है कि पीटीआई संसदीय चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन सरकार बनाने के लिए उसके पास पर्याप्त बहुमत नहीं है। इसीलिए उसे अन्य दलों पर निर्भर होना पड़ रहा है।