पारम्परिक रीति-रिवाज से मनाया तान्हा पोला
बालाघाटPublished: Sep 09, 2018 07:15:36 pm
बैलों को आकर्षक सजावट कर की पूजा अर्चना
पारम्परिक रीति-रिवाज से मनाया तान्हा पोला
बालाघाट. कृष्ण जन्माष्टमी के बाद बैलों की पूजा अर्चना का पर्व तान्हा पोला नगर सहित ग्रामीण अंचलों में धूमधाम से पारम्परिक रीति-रिवाज के अनुसार मनाया गया। किसानों ने अपने बैलों को नहलाकर रंग रोगन कर दूल्हें की तरह आकर्षक सजावट कर पोला मैदान में लाया।
नगर के समीप मॉयल नगरी भरवेली, ग्राम पंचायत आंवलाझरी, कोसमी व छोटी कुम्हारी में पोला पर्व के अवसर पर खेल मैदान में पोला भराया गया। ग्रामीण कृषकों द्वारा परम्परानुसार बैलों को बैंड बाजों की धुनों के साथ घर से सजावट कर गांव के मैदान में जमा किया गया। छोटी कुम्हारी में गांव के प्रबुद्ध नागरिक व पटेल बद्री प्रसाद डहारे के यहां से गाजे बाजे के साथ आरती की थाल सजाकर लाया गया। इसके बाद गांव के गणमान्यों की उपस्थिति में नंदी महाराज की विशेष पूजा अर्चना कर उन्हें पकवान खिलाए गए। इस दौरान प्रमुख रूप से बारेलाल बिसाने, टुंटीलाल बिसाने, ब्रम्हानंद पिछोड़े तरूण लिल्हारे, माधो लिल्हारे, पूर्व सरपंच भजनलाल बिसाने व अजीत लाल बिसाने के अलावा बड़ी संख्या में किसान भाई उपस्थित रहे। वहीं भरवेली मैदान से सभी किसान बैलजोड़ी के साथ रैली के रूप में पोला मैदान मॉयल खेल ग्राउंड पहुंचे। जहां अतिथियों व ग्राम के प्रबुद्धजनों द्वारा बैलों को तिलक लगा आरती उतारकर पूजा कर बैल दौड़ाया गया।
बैलजोड़ी मालिकों को मिला पुरस्कार
प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी किसान समिति के तत्वावधान में विभिन्न स्थानों पर पोला पर्व का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आकर्षक सजावट के लिए पहले से दसवां स्थान प्राप्त करने वाले बैलजोड़ी के मालिकों को पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा सभी बैलजोड़ी मालिकों को सांत्वना पुरस्कार भी प्रदान किया गया। वहीं
मेला सा रहा माहौल
शहर के उक्त सभी स्थानों में पोला पर्व के दौरान मेला सा माहौल रहा। जहां ग्रामीण अंचल की छटां व संस्कृति नजर आई। पोला पर्व स्थल पर विभिन्न प्रकार के खेल-खिलौने व पकवानों की दुकानें भी लगाई गई थी। जिसका सभी ने आनंद लिया। पूरे स्थानों व गांव में हर्षोल्लास का माहौल रहा।
मारबत आज
पोला पाटन के दूसरे दिन मारबत (नारबोद) पर्व सोमवार को मनाया जाएगा। मारबत के पुतला दहन के लिए शोभायात्रा निकाली जाएगी। ढोल नगाड़ों के साथ घेऊन जा री नारबोद के नारों के साथ गांव व नगर की सीमा के बाहर मारबत का पुतला जलाया जाएगा।